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दत्तक या गोद
[चौथा प्रकरण
"बहुतरोज़ या ज़माना" के बारेमें साफ तय नहीं हुआ कि कितना हो जाना चाहिये. यह बात हरएक मुकदमेके जैसे सम्बन्ध हों उसके अनुसार लागू होगी। जिसतरहपर कि ऊपर कहा हुआ ज़माना गुज़र जाने से और खानदानवालों केसाथ तथा अन्य लोगोंके साथ मिस्ल दत्तक पुत्रके बर्ताव हो जानेसे दत्तकके साबित होनेका अनुमान पैदाहोता है, उसीतरहपर अगर यह बातें अनुकूल नहों तोविरुद्ध अनुमान भी पैदा होजाता है । जैसे यदि दत्तक को बहुतरोज़ होगये हों मगर यह बात छिपाई गईहो, या किसी एकतरफसे दत्तक कहाजाता था मगर दूसरी तरफसे इसबात पर शककिया जाताथा या उसकी असलियत पर कभी जांच नहीं कीगई, अथवा उसके साथ विरादारी व खानदान वालोंने दत्तक पुत्रकी हैसियतसे बर्ताव नहीं किया ऐसी हालत में जितना समय दत्तकका व्यतीत होता जायगा उतनाही उस दत्तकके विरुद्ध अनुमान कियाजायगा मगर यह ध्यान रहे कि यदि कोई दत्तक बिना अधिकार के लिया गया हो या अन्य बाते जो दत्तकके लिये कानूनन होना ज़रूरी हैं न की गई हों तो ज़माना कितनाभी दत्तक का गुज़र जाय और चाहे खानदान वाले और अन्य लोगों ने स्वीकार भी कर लिया हो मगर वह जायज़ नहीं होसकेगा। इसी किस्म एक मुकदमा देखो जिसमें हिन्दू विधवाने बिला इजाज़त अपने पतिके दत्तक लिया था और उसे लोगोंने स्वीकार कर लिया था १८ मास वितीत होगये थे, नाजायज़ करार दिया गया 18 Mad. I. L. R.146.
(१) विरादरीमें स्वीकार किया हुआ भी दत्तक पुत्र नाजायज़ होगा यदि कोई दत्तक ऐसा हो जो और सबतरहसे ठीक हो तथा विधि पूर्वक लिया गया हो, और उसे दत्तक लिये बहुत रोज़ गुज़र गये हों तथा अपने खानदान व भाई बन्दोंमें वह दत्तक पुत्रकी भांति माना जाता हो; मगर यह साबित हो जाय कि वह दत्तक पुत्र दत्तकके योग्य नहीं था, तो नाजायज़ होगा। जैसे किसी पुरुषके योग्य औरसपुत्र मौजूद हो और उसने दत्तक लिया हो, या ब्राह्मणोंमें बहन का लड़का दत्तक लिया गया हो या लड़कीका लड़का या बुवा का लड़का लिया गया हो इत्यादि।
अब आप दो ऐसे मुकद्दमे देखें जिनमें गोदकी मंसूखीका दावा किया गया था और यह साबित हुआ था कि दावा करनेवालेनेहीषद गोद दिलाया है और हर तरहसे वह उस गोदसे राज़ी था मगर फिरभी अदालतसे नहीं माना गया । इतनाही नहीं बक्ति उसने दत्तक लेनेके बारेमें कोशिश की थी, समझाया था, स्वयं राजी हुआ था, और बिरादरी कोशिश की थी कि उस दत्तकपुत्रके साथ दत्तकपुत्रकी हैसियतले बर्ताव किया जावे । पहिला मुक्रइमा वह है जिसमें एक ब्राह्मणने अपने भांजेको दत्तक लिया और दूसरा जिसमें एक ब्राह्मणने यज्ञोपवीत, और विवाह होजानेपर दत्तक लिया था, दोनों नाजायज़ हुये। अदालतने यह मानाकि दावा करनेवाला अपने अमल