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दत्तक या गोद
[ चौधा प्रकरण
दर्जे का होना चाहिये जिसका कि बाप है यानी एक ही जात का हो । ( ३ ) हर उमर का लड़का और कोई भी लड़का गोद लिया जा सकता है । ( ४ ) इस दत्तक के लिये किसी रसम की ज़रूरत नहीं है अर्थात् दत्तक हवन आदि की आवश्यकता नहीं है । (५) कृत्रिम दत्तक लिये जाने की प्रायः यह गति है, कि लेने वाला स्नान करके, स्नान किये हुये लड़के से कहे कि "तू मेरा लड़का होजा" और लड़का यों कहे कि “मैं आपका बेटा हो गया हूं" और कोई रीति नहीं है सिर्फ दोनों की रजामंदी दरकार है । (६) पति ने यदि एक लड़का गोद लिया हो तो उसकी ज़िन्दगी में स्त्री अपने लिये एक बेटा गोद ले सकती है । ( ७ ) सिधवा स्त्री ( जिसका पति ज़िन्दा हो ) को कृत्रिम दत्तक लेने के लिये, अपने पति अथवा किसी श्रादमी की आज्ञा लेना ज़रूरी नहीं है । ( ८ ) विधवा स्त्री अपने लिये कृत्रिम दत्तक ले सकती है मगर अपने पति के लिये नहीं ले सकती चाहे उसका पति गोद लेने की आज्ञा भी दे गया हो । ( ६ ) विधवा स्त्री को कृत्रिम पुत्र लेने का अधिकार बिना सपिण्डों की आज्ञा के भी है । (१०) कृत्रिम दत्तक पुत्र का हक़ अपने असली खानदान में नहीं मारा जाता और दत्तक लेने वाले खानदान में वह सिर्फ उसी आदमी की जायदादका वारिस होता है जिसने उसे गोद लिया है ।
कृत्रिम और क्रीत पुत्रका फरक -- क्रीत पुत्रका गोद लेना कृत्रिम पुत्र के तरीके के समान ही है । गोद लेने के इस तरीके में वह व्यक्ति जो गोद लिया जाता है । अपने कुदरती खानदान से लोप नहीं हो जाता और गोद लेने वाले पिता के खान्दान में भी स्थान प्राप्त करता है । इसके लिये सब से अधिक आवश्यकता गोद लिये जाने वाले की स्वीकृति है अतएव वह वालिग होना चाहिये । उसका अपने कुदरती खान्दान से उत्तराधिकार का अधिकार नहीं जाता और वह अपने गोद लेने वाले पिता का भी वारिस होता है किन्तु वह अपने पिता के पिता या दूसरे नज़दी की सम्बन्धियों का वारिस या अपने गोद लेने वाले पिता की स्त्री या उसके नज़दीकी सम्बन्धियों का वारिस नहीं रहता । दत्तक पुत्र का अधिकार उसके और उसके गोद लेने वाले पिता के मध्य इक़रार नामे पर निर्भर मालूम होता है हिन्दूलॉ में कोई ऐसा नियम नहीं जिसकी वजहसे गोद लेने वाला पिता क्रीत पुत्रके अधिकार को दत्तक पुत्र की भांति अपनी जिन्दगी में या मृत्यु के पश्चात के लिये हिबा या वसीयत न कर सकता हो । मिथिला तरीके से क्रीत पुत्रका उत्तराधिकार का अधिकार पीछे पैदा हुयेपुत्रके द्वारा बिल्कुल छिन जाता है । कन्हैय्यालाल साहू बनाम सुगा कोचर 4 Pat. 824; 901. C. 65; 6 Pat, L. J 593. दफा ३१० मिथिलामें कृत्रिम दत्तक जायज है
सिवाय मिथिला के और जगहों पर औरत अपने लिये दत्तक नहीं ले सकती। मिथिला में या जहां पर कृत्रिम की रीति बताई गई है स्त्री अपने