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दफा ३१३-३१४ ]
दत्तक सम्बन्धी नालिशोंकी मियादै
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कि विधवा का पति दत्तक लिया गया था इस वजेह से मुद्दई हक़दार है दावा डिकरी हुआ। इस मुक़द्दमे में अन्य बातें भी साबित हुई हैं जो दत्तक के किसी फैसले के होने से वह लोग जो शरीक नालिश नथे पावन्दं न थे; देखो 3Mad W. L. R. 14 full bench Case. और देखो--इस किताब की दफा ३१६. दफा ३१४ दत्तक मन्सूख करापानेका दावा कब किया जायगा ?
दत्तक मन्सूखीके दावेमें मियादका एक ज़रूरी सवाल है, जो दत्तक के नाजायज़ क़रार दिये जाने के दावा करने में आवश्यक होता है। यानी दत्तक से नुकसान कब पैदा हुआ (बिनाय मुखासमत) यह बात हर मुक़द्दमे में ज़रूरी होती है। इसीके आधारपर दावा, मियादके भीतर या मियादके बाहर निश्चय किया जाता है । जब गोदके मन्सून करनेका दावा किया जाय, अथवा गोदके लड़केके बजाय बादी अपने को उस जायदाद का अधिकारी कहता हो, जो जायदाद अगर बादी न होता तो उस गोद के लड़के को मिलती, या दत्तक पुत्रके कब्जे से जायदाद दिला पानेका दावा किया जाय, ऐसी सूरतोंमें कानून मियाद से कितनी रुकावटें पड़ती हैं इस बातका देखना निहायत ज़रूरी है। मियाद से मतलब यह है कि इस किस्म का दावा दत्तक लेनेके कितने दिनों बाद तक दायर किया जा सकेगा। और वह मियाद कबसे शुरू की जायगी। इस विषय में तय किया गया है कि- "मियाद उस वक्त से शुरू होगी जिस वक्त गोद मन्सूखीका दावा करने वाले मुद्दई को उससे नुकसान पहुँचे, उसी वक्तसे मियाद शुरू होगी। मगर जब कोई ऐसा वारिस हो जिसे दत्तक न होनेकी दशामें जायदादके पानेका हक़ पैदा होता हो तो मियाद उस वक्तसे शुरू होगी जब उसे ऐसा हक़ पैदा हुआ है”।
उदाहरण- (१) सेठ कस्तूरचन्दके मरने के बाद उनकी विधवा जानकी बाई ने ता०५ सितम्बर सन १९१५ ई० को एक पुत्र गोद लिया, इस पुत्र के गोद लेनेसे सेठ कस्तूरचन्द के वारिस जायज़ को अपने हक़ का नुकसान पहुँचा, तो उचित है कि गोद मन्सूखी के दावाकी मियाद उसी वक्त से शुरू की जाय जिस तारीख को जानकीबाई ने गोद लिया था। . .
(२) सेठ जवाहरमल और मूंगामल दोनों सगे भाई हैं दोनों के बटे हुए खानदान हैं, सेठ जवाहरमल के मरनेपर उनकी विधवा सरस्वती बाई ने तारीख १ जनवरी सन १६०० ई० में एक लड़का गोद लिया । सरस्वती बाई तारीख ५ सितम्बर सन १९१५ ई० में मरी । ऐसी सूरतमें गोद मन्सूखी के दावा की मियाद उस वक्त से शुरू होगी जब कि सेठ मूंगामल को भाई की जायदाद पाने और उसपर कब्ज़ा करने का अधिकार पैदा हुआ यानी विधवा के मरने के बाद जायदाद मुंगामलको पहुँची इससे तारीख ५ सितम्बर सम १६१५ ई० से मियाद शुरू होगी।
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