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दफा २८३]
द्वामुष्यायन दत्तक
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जाती है इन वचनोंसे पुत्रके लिये भी जो स्त्री नियोग करती है वह पतित हो जाती है इसलिये पुत्रकी कामना के लिये भी मियोग का निषेध किया गया है। नियोग किसका होना चाहिये इस विषयमें मनुने कहा है कि जिस कन्या का विवाह रूप संस्कार हो गया हो उसका नियोग निषिद्ध है मगर जब कन्याका सिर्फ वाग्दान हो गया हो और उसका पति मरजाय उस कन्याको इस विधिसे देवर विवाह करले। देवरके विवाह करलेनेपर वह स्त्री शुक्ल वस्त्र पहने और ब्रतों को धारण करे, तथा विधि के अनुसार जब उसका ऋतु समय आवे तब सिर्फ पुत्रकी कामनासे एक पुत्र उत्पन्न पर्यन्त ही गमन करे पीछे कभी नहीं। जिस कन्याके साथ वाग्दान होजाता है वह उसका पहिला पति होता है चाहे पाणिग्रहण नभी हुआ हो। देवरके विवाह लेनेपर भी यथाविधि संग करनेको जो कहा गया है इससे यह मतलब है कि समयके आनेपर देवर अपने शरीर में घृत लगाकर मौन व्रत धारण कियेहुये ऋतु समय में जब तक गर्भाधान न हो तबतक एक बार गमन करे । जब विवाह होनेपर देवरको घृत आदिका नियम किया गया है इससे सिद्ध है कि वह देवरकी भार्या नहीं हो गई सिर्फ पुत्रोत्पन्न करने के लिये नियोग किया गया है । इसलिये उस स्त्रीमें देवर द्वारा जोपुत्र पैदा किया गया है वह क्षेत्रके स्वामी का होता है यानी उसके वाग्दत्ता पतिका होता है देवरका नहीं। और अगर यह प्रतिज्ञा पहिले कर कर ली गई हो कि इससे जो पुत्र होगा वह दोनों का होगा तो वह पुत्र दोनों पिताओंका होता है-इसी अख़ीरवाले पुत्रको 'द्वामुष्यायन' कहते हैं। दफा २८३ ऊपरके वचनोंका नतीजा
गौतम, वसिष्ठ, बौधायन, याज्ञवल्क्य, और विज्ञानेश्वर कृत मिताक्षरा आदि ग्रन्थों में नियोग की विधि कही गयी है। महर्षि मनुने नियोग विधिको कह कर उसको निन्दित बताया है एवं विज्ञानेश्वर जी ने मिताक्षरा में यद्यपि नियोगकी विधि कही है परन्तु वह मनु की राय से सहमत ही नहीं है बक्लि वह नियोगको तथा द्वामुष्यायनको नहीं मानते। मिताक्षरामें द्वामुष्यायन नहीं माना गया और जहां २ पर मना गया है तो अनेक शत ज़रूरी उसके साथ लगाई गयी हैं। आज कल 'द्वामुष्यायन दत्तक' बहुत कमसुने जाते हैं भारत सरकारकी राज्यमें अदालतों में द्वामुष्यायन किस तरह पर माना जाता है इस विषयका उल्लेख नीचे किया गया है । अंग्रेज़ी कानून में यह बात स्वीकार की गई है कि द्वामुण्यायन का रवाज नियोगकी रवाज पर से चला है, नियोगकी रवाज पुरानी है इसका ज़िकर अनेक धर्मशास्त्र ग्रन्थोंमें पाया जाता है।