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दफा २५७-२५८ ]
दत्तक लेनेका फैल क्या है
वह वारिस होजाता है । दत्तक पुत्र इस तरहपर सबका वारिस होता है जिस तरह पर कि गोद लेने वालेका औरस पुत्र होता । नज़ीरें देखो, गुरुबल्लभ बनाम जगन्नाथ 7 Macn. 159 मुकुन्दो बनाम विकण्ठ 6 Cal. 289; और देखो 26 I. A. 83; S. C. 22 Mad. 383
एक दत्तक पुत्र दूसरे दशक पुत्रका वारिस होता है और दशक पुत्र, गोद लेने वाले बापके भाईका भी वारिस होता है दोनों बातोंकी नज़ीरें देखो श्यामचन्द्र बनाम नरायनी 1 S. D. 209 ( 279 ); गुरहरी बनाम मिस्टर रत्नासुरी 6 S. D. 203 ( 250 ); जैचन्द्र बनाम भैरवचन्द्र S. D. of 1849. 461; गुरूगोबिन्द बनाम आनन्दलाल 5 B. L. R.15; S. C. 13 Suth. (F. B.) 49; लोकनाथ बनाम श्यामासुन्दरी S. D. of 1858; 1863. किशननाथ बनाम हरी गोबिन्द S. D. of 1859, 18, गुरुप्रसाद बनाम रासबिहारी S. D. of 1860, 1, 411.
दत्तक विधवा द्वारा - दत्तक पर शर्त - हिन्दू विधवा दत्तक पुत्र पर कोई ऐसी शर्त नहीं रख सकती, जिसके द्वारा उसके पति के जायदाद का कोई भाग उसके किसी खास नियोजित व्यक्ति को दिया जा सके । यदि वह बालिग़ है, तो उसे उसके विचार की पाबन्दी, अपने ऊपर लेने से कोई बात रोक न सकेगी। मित्र सेन बनाम दत्तराम 90 I. O. 1000 :
मिताक्षराका यह सिद्धांत पूरी तौर से माना जाचुका है कि दशकपुत्र, दत्तक के पीछे अपने पूर्व पिता के कुटुम्ब से दूसरे कुटुम्ब में चला जाता है और उसके सबअधिकार व हक्क़ नष्ट होजाते हैं जो पूर्व पिताके लड़के होने की हैसियत से थे । दत्तक पुत्र, अपने असली पिताके खानदान की जायदाद के किसी हिस्से के पाने का दावा पहले के सम्बन्ध से नहीं कर सकता। सिर्फ उसका सम्बन्ध इतना बना रहता है कि दत्तक पुत्र नतो विवाह मना किये हुये डिगरियोंमें अपने असली खानदान में कर सकता है और न इसी तरहपर गोद ले सकता है | देखो; धन्नामल बनाम परमेश्वरीदास 1928 A. I. R. Lah. 9.
यदि कोई पुत्र, अपने पिता के गोद लिये जाने के समय मौजूद हो, तो इसे जायदाद में अधिकार प्राप्त होगा, और पिता के गोद लिये जाने के कारण जिससे कि उसकी अधिकार सम्बन्धी मृत्यु समझी जायगी, उसका कोई प्रभाव अपने पुत्र या पुत्रों के अधिकार पर शेष न रहेगा । धनराजसिंह बनाम बख्शी 94 I. C. 4; A. I.R. 1926 Bom. 90.
दत्तक पुत्र प्रत्येक रीति से स्वाभाविक पुत्र के समान है - दशक पुत्र के अधिकार, यदि किसी स्पष्ट लेख द्वारा कम न कर दिये गये हों, तो हर प्रकार से स्वाभाविक पुत्र के समान ही है और उत्तराधिकार का क्रम, जहां तक कि सिलसिले उत्तराधिकार का सम्बन्ध है पूर्व काल से ही प्रभाव रखने
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