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दत्तक या गोद
[ चौथा प्रकरण
इत्यादि, पीछे जब लार्ड कैनिङ्ग का ज़माना आया तब उन्होंने एक घोषणा पत्र निकाल कर गवर्नमेन्ट से इजाज़त लेने की ज़रूरत को रफा कर दिया; देखोरामचन्द्र बनाम नाना जी 7 Bom H. C. ( A. C. J ) 26; नरहरि गोबिंद बनाम नारायण 1 Born. 607; रंगू बाई बनाम भागीरथी बाई 2 Bom. 377; 'Bell's Empire in India 127; Bell's Indian Policy_10; Sir. C. Jackson's Vindication of Lord Dalhousie 9; बालाजी रामचन्द्र बनाम दत्तरामचन्द 27 Bom. 75.
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जहां कहीं तलवार द्वारा विवाह हुआ हो, और इस प्रकारकी स्त्री से उत्पन्न पुत्र क़ानूनी हों किन्तु पूर्वजों की अन्त्येष्टि क्रिया आदि न कर सकते हैं । ऐसे पुत्रोंके होने से दत्तक लेने में कोई बाधा नहीं आती । महाराजा कोल्हापुर बनाम सुन्दरम् अय्यर 48 Mad. 1; AIR 1925 Mad. 497.
(ख) विधवा का गोद लेना
दफा ११८ विधवा के गोद लेने में स्कूलोंका मतभेद
विधवा स्त्रीके गोद लेनेका अधिकार प्रत्येक स्कूलमें भिन्न भिन्न माना गया है । यह भेद वसिष्ठ के वाक्यके अर्थ करने से पैदा होता है । हरएक स्कूलमें उस वाक्य का अर्थ जुदा जुदा किया गया है । वह वाक्य यह है :
नस्त्रीपुत्रं दद्यात् प्रतिगृह्वी यादा अन्यत्रानुज्ञानाद्भर्तुः
( १ ) मिथिला स्कूल -- मिथिला स्कूलमें उक्त वाक्यका अर्थ यह माना गया कि गोद लेने के समय पतिकी मजूरी होना चाहिये; इसलिये बिना पति की मौजूदगी के गोद नहीं लिया जा सकता । अतएव कोई विधवा गोद नहीं ले सकती; देखो -- दत्तक मीमांसा ९-१६, विवाद चिन्तामणि; मेक्नाटन हिन्दूला जिल्द १ पेज १५-१००; जैराम बनाम मुसंधर्मी 5 S. D. 3; और देखो ट्रिलियन हिन्दूलॉ दूसरा एडीशन पेज १२१; मुल्ला हिन्दूलॉ दूसरा एडीशन पेज १७२, इस किताब की दफा देखो -- २३ पैरा २,२६, ११२.
मिथिला स्कूल -- मिथिला स्कूल का क़ानून, मिताक्षरा का ही क़ानून है । केवल थोड़े ही ऐसे विषय हैं जिनमें मिथिलाका स्कूल मिताक्षरा से कुछ भिन्न है । A. I. R. 1925 P. C 280.
मिथिलाक़े किसी व्यक्ति द्वारा, दत्तक रीतिपर लिया हुआ गोद नाजायज़ नहीं होता और दत्तक पुत्रको अधिकार होता है कि वह वंशजका वारिस हो