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दत्तक या गोद
[चौथा प्रकरण
S. C. 1 B. L. R. (P. C. ) 1; 10 W. R. (P.C.) 17, V. N. Mandlik 463; 3 I. A. 154; 1 Mad. 693725 W. R..C. R. 291, 302; 4I. A. 1; 3 Mad. H.C. 283.
पश्चिमीय कनारा प्रांतके निवासी नामबुद्री ब्राह्मणोंने भी उक्त वाक्य का ऐसाही अर्थ किया है । हिन्दुस्थान के दक्षिणी भाग की तरफ यह माना गया है कि अगर पति गोदकी आज्ञा न दे गया हो, तो इस कमीको उसके सपिण्ड पूरा कर सकते हैं। अर्थात् पतिकी आज्ञा न होनेपर भी सपिण्डोंकी आज्ञा से विधषा गोद ले सकती है।
महाराष्ट्र स्कूलके अनुसार विधवा या तो पतिकी आज्ञासे या बिना आशा भी अगर वह जायदादकी खुद मालिक हो, गोद ले सकती है । देखो6 Bom. 6053; 12 M. I. A. 397, 436; 1 B. L. R. ( P.C.) 1; 10 W..R.P.C.17: 23 Bom. 250% 22 Bom. 558,566,5683; 22 Bom. 416; 15 Bcm. 565, 6 Bom. 498; 8 Bom. H. C. (A.C.) 11474 Bom. H. C. ( A.C.) 181. __अगर विधवाका पति मुश्तरका खानदानमें मरा हो और कोई आशा गोद की मदी हो तो विधवा बिना मंजूरी शरीक हिस्सेदारों के गोद नहीं ले सकती है--22 Bom. 416; 6 Bom. 498; 6 Bom. 505.
इस स्कृसमें यह भी मानागया है कि जहांपर विधवाके पास कोई स्पष्ट आशा पतिकी गोदलेनेकी न हो, तो यह माना जायगा कि पतिकी इच्छा गोद लेनेकी थी और जब कि पति नाबालिगी अवस्थामें मरा हो तो यह ख्याल मज़बूत होजायगा; देखो-16 Bom. 565; 25 Bom. 306; 2 Bom. L. R. 1101.
बटे हुए खानदानमें बड़ी विधवा बिना मंजूरी छोटी विधवाओंके गोदले सकती है मगर छोटी विधवा बिना मंजूरी बड़ीके गोद नहीं लेसकती जबतक कि कोई खास बात न हो, 6 Bom. H.C. 181-192; 6 Bom. 498-503 13 Bom. 160.
(५) पश्चिमी हिन्दुस्थान-पश्चिमी हिन्दुस्थानमें दक्षिणकी अपेक्षा विधवाका दत्तक अधिकार बढ़ा हुआ है । वसिष्ठके वाक्यका अर्थ करते समय मयूखने जो नतीजा निकालकर प्रधानता दी है, ऊपर कहागया है। नन्द पंडितके सिद्धांतके वह विरुद्ध है । उनका सिद्धांत है कि बिधवा कभी दत्तक नहीं ले सकती, क्योंकि गोदके समय पतिकी आशा होना ज़रूरी है ( इस दफाका मिथिला स्कूल देखो) मयूखमें कहा गया है कि विधवाही ऐसी
आज्ञा पानेकी अधिकारिणी है, दूसरा नहीं। बम्बई प्रांतके तमाम मुकद्दमोंके देखनेसे यह करार पाया है कि मराठा और गुजरात प्रांतमें जो विधवा