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दत्तक या गोद
[ चौथा प्रकरण
अपने पतिकी गैरहाज़िरीमें मगर उसकी श्राज्ञासे यदि स्त्री अपने पुत्रको दत्तक दे दे तो वह दत्तक उसी तरह पर जायज़ माना जायगा जैसाकि पतिने दिया होता; देखो -- 5 M. L. J. 66; 2 Bom. 377; 2 Bom. 388, 404. 405; 1 Mad. Dec. 154.
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दफा १५८ भाई ( माया बाप की हैसियत से )
यदि बापसे आशा दत्तक देनेकी मिल गई हो तो बड़ा भाई अपने छोटे भाईको गोद दे सकता है; देखो 7 Mad. 548; इसमें असली बापने पुत्रके दत्तक देनेका बचन दिया था और गोद लेनेवाले बापने स्वीकार कर लिया था यह ठहराव होगया था कि भविष्य में किसी समय गोदकी रसमें पूरी करके दत्तक दे दिया जायगा किन्तु दत्तक देने और रसमोंके पूरा करने से पूर्व असली बाप और मा मर गये थे। ऐसी सूरतमें बड़े भाईने बाप और माके स्थानपर होकर दत्तक दिया तथा रसमें कीं। माना गया कि वह दत्तक दे सकता है और दत्तककी रसमें भी पूरी कर सकता है। इसमें यह नहीं माना जायगा कि बड़े भाई ने दत्तक देने और रसमें करने का काम स्वयं किया, बलि दत्तक पुत्र के असली बाप और मा की तरफ से स्थानापन्न की हैसियत से किया ।
जब बापने दत्तक देने की मंजूरी दे दी हो और दत्तक देने के समय वह बीमारीके सबबसे स्वयं दत्तक सम्बन्धी कोई काम करनेके अयोग्य हो और दत्तक दिये जानेवाले पुत्रके भाईने पिताकी आशासे दत्तक हवन और सब कृत्ये की हों तो दत्तक जायज़ माना जायगा; देखो 7 Bom. 225.
यदि कोई अनाथ बालक ( जिसेके मा बाप मरगये हों ) अपने बड़े भाईके द्वारा गोद देदिया गया हो तो यद्यपि ऐसा दत्तक उचित नहीं है किन्तु अदालत ऐसी सूरत में 'फेक्टम वेलेट' ( दफा ७३ ) के सिद्धांतसे उसे जायज़ मान लेती है-7 Indian Cases 427; इसके विरुद्ध देखो दफा १६७.
दफा १५९ चाचा ( बाप या माकी हैसियत से )
पतिके मर जानेके बाद माताने पुत्र के चाचासे कहा कि 'तुम गोद देदों' क्योंकि माता बीमारीके कारण स्वयं उस समय उपस्थित नहीं हो सकती थी, चाचाने दत्तक दे दिया और सब कृत्य किये, माना गया कि चाचा के दत्तक देने से जो क़ानूनी हक़ दत्तक में पहुँचते वे चाचा के दत्तक देने से भी प्राप्त हो गये इससे दत्तक जायज़ है, देखो -- विजयरंगम बनाम लक्ष्मण 8 B. H. C. O. C. 244 - 257; इस नज़ीर को 7 Mad. 549; 22 Bom. 590; 21 Mad. 497 से मुक़ाबिला करो ।
नोट -- अगर ऐसी सूरत न होती तो चाचाका दिया हुआ दत्तक नाजायज होता ।