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दफा २४०]
दत्तक सम्बन्धी आवश्यक धर्म कृत्य क्या है?
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(४) दक्षिणी ब्राह्मणोंमें लड़कीका बेटा, या भाई का बेटा गोद लेनेके समय दत्तक हवन ज़रूरी नहीं हैं देखो; 6 All. 276.
(५ ) जबकि गोद लेनेवाले बाप और दत्तक पुत्रका गोत्र एकही हो तो दत्तक हवन ज़रूरी नहीं हैं देखो; 11 Mad. b; 24 Bom. 218; b Mad.358.
(६) मदरास प्रांतमें रहने वाले खत्रियों में बिना किसी मज़हबी कृत्य किये दत्तक विधान जायज़ माना गया है देखो, 6 Mad. 20.
(७) नामबुद्री ब्राह्मणोंमें दत्तकहवन ज़रूरी नहीं है देखो 15Mad.7.
(८) दत्तक हवन क्या है ? 5 M. L. J. 66; 18 Mad. 3977 में माना गया कि दत्तक हवन लड़केके देने और लेनेकी रसमको दोहरा देता है।
(१) दत्तक हवन कहांपर होना चाहिये ? 3 Agra H. C. 103 A. में कहा गया है कि दत्तक हवन किसी भी जगहपर किया जासकता है यह ज़रूरी नहीं है कि गोद लेने वालेके घरही पर किया जाय ।
(१०) जब किसी ब्राह्मणने लड़का गोद ले लिया हो और गोद लेने की रसमें करनेसे पहले मरजाय तो उसकी विधवाका दत्तक हवन करना और दूसरे रसूमात करना जायज़ है । हवन और दूसरे रसूमात करनेके सबब से वह दत्तक नाजायज़ नहीं होगा देखो 21 Mad. 497.
(११) यदि दत्तक हवनके समय दत्तक पुत्रका असली बाप न मौजूद हो और दत्तक हवन आदि सब कृत्य उसकी स्त्रीने पतिकी आज्ञासे की हों तो वह दत्तक इस सबबसे नाजायज़ नहीं होगा 18 Mad. 3967 5:Mad. L. J. 66; 7 Mad. 549.
(१२) 8 All. 319 में कहा गया कि पंजाबमें कोई भी दत्तककी रसम दत्तक जायज़ करनेके लिये जरूरी नहीं हैं क्योंकि वहां दत्तक रवाजके अनुसार लिया जाता है।
(१३) अग्रवालोंमें दत्तक लेनेका केवल यह तरीका है कि विरादरीके खास खास आदमियोंके सामने, उस लड़केके सरमें, जिसे कि गोद लेना होता है दस्तार ( पगड़ी) बांधते हैं और विरादरी को भोजन कराते हैं। ( Mr. Ameer. Ali. J.) धनराज जौहरमल बनाम सोनीबाई 62 Cal. 482; 52 I. A. 23]. ( 1925); M. W. N. 6923 87 I. C. 367; 27 Bom.L. R. 837; L. R. 6 P. C. 97; 23 A. L.J. 273; 20 W. N. 335;21 N. L. R.50; A. I. R. 1925 P.C. 118; 49 M. L.J. 173 (P. C.)
यदि गोद लेने वाला पिता और पुत्र एकही गोत्र के न हों तो ब्राह्मणों में दत्तक को जायज़ होने के लिये यह आवश्वक है कि दत्तक ही न कियाजाय। (Macleod. J. C. and. Crump J. ) गोबिन्दप्रसाद ललिताप्रसाद बनाम