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दफा १३५-१३६]
गोदका अधिकार देनेकी रीति और असर
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गया, तो मेरी पत्नी को अधिकार होगा, कि वह क्रमशः पांच पुत्र एक की मृत्युके पश्चात दूसरे को गोद ले। उक्त पत्नी को तुम्हारी स्वीकृति के साथ किसी गोस्वामी परिवारकी सन्तान या मेरे भतीजोंमें से किसी को दत्तक लेनेका अधिकार होगा। उसे तुम्हारी स्वीकृति के बिना दत्तक लेने का अधिकार न होगा' तय हुआ कि वाक्य "उसे तुम्हारी स्वीकृतिके बिना दत्तक लेनेका अधिकार न होगा' केवल हुक्म ही न समझा जाना चाहिये, किन्तु अङ्गीकार पत्रकी शर्तों को ध्यान में रखते हुए, यह आवश्यक है कि लगाये हुए प्रतिबन्धोंका पालन अत्यन्त आवश्यक है और दत्तक को जायज़ बनाने के लिये यह अत्यन्तावश्यक है कि लड़के का निर्वाचन और दत्तक की प्रथा शिष्यों की स्वीकृति के साथ की जाय ।
यह भी तय हुआ कि दत्तक लेने के अधिकार का सम्पूर्णतया पालन किया जाना चाहिये, उस अधिकार में न तो कोई परिर्वतन होना चाहिये और न वृद्धि ( देखो Mayne 8th Ed. P. 14) 19 C. 513. जब अधिकार में प्रतिबन्ध स्थापित करने के विशेष कारण उपस्थित हो जाते हैं और पत्नी की रहनुमाईके लिये विशेष हिदायतें की जाती हैं तथा अधिकार में प्रतिबन्ध लगा दिया जाता है, तब उनका पालन बहुत ही पूर्णताके साथ होना चाहिये। (चटर्जी और पियर्सन जज) प्रण गोपाल गोस्वामी बनाम चन्द्रमोहन चक्रवर्ती 41 C. L. J. 55; A. I. R. 1925 Cal. 619. दफा १३६ गोदका अनुचित अधिकार देना
(१) पतिका दिया हुआ दत्तक लेनेका अधिकार उस सूरतमें काममें नहीं लाया जायगा जबकि अधिकार देनेवाला अपने लड़के, पोते, परपोतेमें से किसी एकको छोड़कर मर गया हो, देखो-भुवनमयी बनाम राकिशोर आचारी 10 Mad. I. A. 279; पद्मकुमारी देवी बनाम कोर्ट श्राफ वार्ड्स 8 I.A. 229. इन मुक़द्दमों में कहा गया कि गुरुकिशोर अपना लड़का भवानी और एक विधवा चन्द्रावलीको छोड़कर मर गया। गुरुकिशोरने अपनी स्त्री चन्द्रावलीको खास तौरपर यह अधिकार दिया था कि अगर मेरा बेटा भवानी मरजाय तो वह गोद लेवे । बापके मरनेके बाद भवानीने विवाह किया और बालिग हुआ तथा एक विधवा अपनी छोड़कर मरगया मगर उसके कोई औलाद न थी उस वक्त चन्द्रायलीने पतिकी भाशानुसार रामकिशोरको गोद लिया । रामकिशोरने भवानीकी विधवा भुवनमयीपर जायदादके दिलापानेका दावा दायर किया । अन्तमें प्रिवीकौंसिलने फैसला किया कि पश्चात्के गोद लेनेकी वजहसे विधवा जायदादसे अलहदा नहीं की जासकती। इस विषयपर लार्ड किंगसडौनने कहा कि जिस समय चन्द्रावलीने अपने दत्तक लेनेके अधिकार को काममें लाना चाहा था उस समय उस अधिकारमें यह योग्यता न रही