________________
दफा १३३-१३४]
गोदका अधिकार देनेकी रीति और मसर
१६
मुश्तरका गोद लेनेका अधिकार दिया गया हो तो क्या वह अधिकार जायज़ होगा? माना गया है कि जहां मुश्तरकन् गोद लेने का अधिकार दिया गया हो वहांपर सब विधवाएं मुश्तरकन् गोद लेंगी। अगर उनमें से कोई मर जाय तो गोद नहीं हो सकता। इसपर प्रिवी कौंसिलका मुकदमा देखो-37 Mad. 199; 41 I. A. 51.
जहां पर अनेक विधवाओं को गोद लेनेका भधिकार पतिने दिया हो तो ऐसी सूरतमें बड़ी विधवाको अधिकार गोद लेनेका होता है, छोटी को नहीं। यदि बड़ी विधवा इनकार कर दे तो छोटी ले सकती है--विजय बनाम रञ्जीत 38 Cal. 694; 18 Cal 69, 39 Cal. 582.
उदाहरण-एक हिन्दने अपनी दो त्रियोंके नाम घसीयत की कि, जो लड़का उसका नज़दीकी हो गोद लिया जाय, और यह भी कहा गया कि दोनों मिलकर गोद लेवें । ऐसी सूरत में दोनों विधवाएं मिलकर गोद ले सकती हैं और अगर उनमेंसे कोई विधवा मर जावे, तो प्रिथी कौंसिल की राय है कि बाकी विधवाएं गोद नहीं ले सकतीं, क्योंकि अधिकार मुश्तरकन दिया गया था। एक विधवा के मरनेपर अधिकार टूट गया; देखो-नृसिंह बनाम पार्था सारथी 37 Mad. 199, 41 I. A. b1.
ऐसे अधिकारमें गोद लेते समय मुश्किल होगी, क्योकि सब विषषापं कैसे एक साथ गोद ले सकती हैं ? माना गया है कि एक तो गोद लेगी और बाकी सब किसी न किसी गोदकेकृत्यमें शरीक रहेंगी। इस तरहपर 'मुश्तरकर का अर्थ ठीक हो जायगा और वह गोद जायज़ माना जायगा।
जब कोई हिन्दू अपनी विधवा और एक पुत्र छोड़कर मर जाय, और तत्पश्चात् पुत्र भी निस्सन्तान मर जाय, तो प्रथम विधवा का दत्तक लेनेका अधिकार समाप्त हो जाता है और वह उस सूरत में भी कि उसकी विधवा बहू दूसरी शादी भी करले दत्तक महीं लेसकती, (Baker J C. and Prideaux A. J. C. ) गनपति बनाम मु० सालू 89 I. C 385. दफा १३४ अधिकार गर्भवती को
- जब किसी ने अपनी गर्भवती स्त्री को, गर्भवती मालूम होनेपर यह अधिकार दिया हो कि अगर उसके लड़का पैदा होकर मर जाय तो दूसरा लड़का गोद ले । पतिके मरने के बाद उस गर्भ से लड़की पैदा हो, तो यह तय हो गया है कि फिर वह विधवा दूसरा लड़का गोद नहीं ले सकती-महेन्द्र लाल बनाम रुकमनी 1 Cory ton 42, Cited V. Darp. 814.
यद्यपि उसे अधिकार था परन्तु वह लड़कीकी ज़िन्दगीमें दूसरा लड़का गोद नहीं ले सकती थी। इस बारे में एक राय यह भी मानी गयी कि अगर