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दत्तक या गोद
[चौथा प्रकरण
गोद ले सकती है देखो-नारायन बनाम नाना 7 Bom H. R. 153; परन्तु किसी स्कूलके अन्तर्गत विधवा पतिकी आज्ञाके बिना भी गोद ले सकती है, जिसका वर्णन आगे किया गया है; देखो दफा १४३ से १५० ।
गोद चाहे पुरुष ले या उसकी तरफसे उसकी विधवा, मगर दोनों ही सूरतों में यह शर्त निहायत ज़रूरी है कि गोद लेनेके समय वह अपुत्री ( लावल्द ) हो और गोद का कोई लड़का पहले न लिया गया हो जो मौजूद हो । इस जगह पर 'अपुत्री, का अर्थ यह है “पुत्रपदं पुत्रपौत्र प्रपौत्रयोरप्युपलक्षणम्,, यानी पुत्र, पोत्र और प्रपौत्र ( लड़का, पोता, परपोता) तीनोंके न होनेपर अपुत्री कहा जाता है। अर्थात् पुत्र, पौत्र, प्रपौत्र, इन तीनोंमेंसे किसी एककी तथा पहले लिये हुए किसी योग्य दत्तक पुत्रकी मौजूदगीमें दत्तक नहीं लिया जासकता कारण यह है कि वे सब धार्मिककृत्य पूरा कर सकते हैं लेकिन अगर परपोतेका लड़का या लड़कीका लड़का मौजूद हो तो गोद लिया जासकता है। इस विषय में मि० मेकनाटन और मेनकी यही राय है, देखो--एफ० मेकनाटन जिल्द १ पेज १५६; डबल्यू० मेकनाटन पेज ६६ ।
__ जिस किसी हिन्दू पुरुषके लड़का, पोता, परपोता पैदा हुए हों और गोद लेनेसे पहले मर चुके हों वह गो ले सकता है-जैचन्दराय बनाम भैरव चन्द्रराय Ben S. D. A. 1849 P. 461; रंगलालजी बनाम मुदीअप्पा 23 Bon, 296-303; 25 Bom. 306-311; 2 Bon.L.R.1101; दत्तक मीमांसा
और दत्तक चन्द्रिकाका भी यही मत है। "अपुत्रणत्येव कार्येण पुत्रोवातेनधिकारोबोधितः,
लेकिन अगर लड़के, पोते, परपोते, अपनी मानसिक अयोग्यताके सबबसे या किसी ऐसे सबबसे जिससे कि वे साधारण कुदरती कामोंके और किसी धार्मिक कृत्यके करनेके अयोग्य हैं तो गोद लिया जा सकता है । देखो मेकनाटन हिन्दू लॉ जिल्द २ पेज २००; स्ट्रेन्ज हिन्दू लॉ जिल्द १ पेज ७८ कोलब्रक्स् डाईजेस्ट जिल्द ३ पेज २६५.
यह वात मानी गई है, कि अगर किसीने कोई अयोग्य (नाजायज़) दत्तक ले लिया हो तो वह उस दत्तककी मौजूदगी में दूसरा जायज़ दत्तक ले सकता है; देखो-सरकारका लॉ आफ एडापशन पेज १८६.
___ जहांपर यह जायज़ माना जाता हो कि इकलौता लड़का गोद दिया जा सकता है, वहां पर अगर किसी ने अपना इकलौता लड़का दूसरेको दत्तक दे दिया हो तो वह भी गोद ले सकता है । देखो-राधामोहन बनाम हरदाई बीबी 22 I. A 113-142; 22 Mad 398; 21 All. 460; 3 C. W. N. 427-447; 1 Bom. L. R. 226.