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दत्तक या गोद
[चौथा प्रकरण
घोष 2 B. L. R. A. C. 134. गुरुदासनाग बनाम मतीलाल नाग 6 B. L. R. App. 163 14 W. R. C. 468; परमेश्वरराय बनाम विश्वश्वरसिंह I. All. 53; 8 All. 614; 11 Bom. 433; और देखो सरकारका लॉ आव एडाप्शन पेज १६४, १६५. दफा १०१ जैनियों में हिन्दू लॉ माना जायगा
___ दत्तक लेनेवाला हिन्दू हो या कमसे कम ऐसा हो जिसने ज़ाहिरा हिन्दू धमको न त्यागा हो । बम्बई प्रांतमें जैनियोंके दत्तक लेनेका विचार भी साधारण हिन्दू लॉ के अनुसार होता है । जैनियोंकी विरासतका ( उत्तराधिकारका ) विचार भी हिन्दुला से होता है। देखो--भगवानदास बनाम राजमल 10 Bom. 241 H. C. R. आमावा बनाम महादेवा बड़ा 22 Bom. 416.
जीवनलाल बनाम कल्लूमल A. W. N. ( 1905 ) P. 235; इलाहाबाद हाईकोर्टने कहा कि, और ऐसी दूसरी कैदें केवल द्विज जातिसे सम्बन्ध रखती हैं । द्विजसे अर्थ ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य है। किन्तु पुरबिया कुनबी जो अपनेको पुरबियाक्षत्री कहते हैं द्विजोंमें नहीं हैं। इसलिये जबकि उनमेसे एकने अपने पिताकी बहनके पोतेको दत्तक लिया तो वह नाजायज़ नहीं है। देखो-घारपुरे हिन्दू लॉ दूसरा एडीशनपेज ६६. दफा १०२ कारा या रंडुवा दत्तक ले सकता है
जिसका विवाह न हुआ हो अर्थात् क्वारा हो, और जिसकी स्त्री मरचुकी हो, यानी रंडवा हो, ये दोनों गोद ले सकते हैं । वह दत्तक जायज़ होगा। Suth. Syn. 664-771; 3 Dig. 252; 1 W. Macn. 66; 2 W.
Macn. 175; Bum. Sel. Rep. 202; नागप्पा बनाम सुब्बा शास्त्री . 2 Mad. H.. C. 367; 4 Mad. H. E, 270; 12 Bom. 329; 12 All. 328-352,
रडंवा का लिया हुमा गोद-रंडुवा द्वारा लिया हुआ दत्तक, अपने गोद लेने वाले पिता की पूर्व मृत पत्नी का वारिस नहीं होता। वेंकट सुब्बायर बनाम सुन्दरम् 85 I. C. 318; A. I. R. 1925 Mad. 340; 48 M. L.J. 126.
मद्रास प्रान्तके शूद्रोंमें दत्तक देखो-वीलिंगप्पा चेटी बनाम चोंगलमल, 20 L. W. 959; ( 1925) M. W. S. 268; 48 Mad. 407; 89 I. C. 928; A. I. R. 1925 Mad. 272, 47 M L. J. 776.