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विवाह
[दूसरा प्रकरण
. (१) पति कब देनदार है ?--स्त्री, जो वज़ अपने पतिकी मंजूरी विना ले और जो किसी ऐसी ज़रूरतके लिये न हो कि जिसको ध्यान रखते हुए अदालत यह ख्याल करके कि पतिने वैसी मंजूरी दी होगी, ऐसे कर्जका देनदार पति नहीं है, देखो-पूसी बनाम महादेवप्रसाद 8 All 122; गिरधारी बनाम क्राफर्ड 9 All. 147; पतिने दूसरा विवाह कर लिया हो इस सबबसे पहली पत्नी यदि पतिसे अलग जा कर रहे उस सूरत में क़र्ज़ के तो पति उस कर्जका देनदार नहीं होगा, 1 Mad. 375.
स्त्रीने खानदानी कारबार चलानेके वास्ते जो कर्ज लिया हो उसका देनदार पति होगा, देखो -याज्ञवल्क्य व्यवहाराध्याय ४८
गोपशौन्डिक शैलूष रजकव्याधयोषितां ऋणंदद्यात् पतिस्तासां यस्माद् वृत्तिस्तदाश्रया।
अर्थात् गोप, शराब बेचनेवाला नाटककार, धोबी, शिकारी, यह सब अपनी स्त्रीके क़र्ज़के देनदार हैं।
(२) स्त्री कब देनदार है ?-निम्नलिखित कारणोंके सिवाय स्त्री अपने पतिके कर्जे की देनदार नहीं है। देखो-याज्ञवल्क्य व्य० अ० ४६;
प्रतिपन्नं स्त्रियादेयं पत्या वा सह यत्कृतम् स्वयं कृतं वा यदृणं नान्यत् स्त्री दातुमर्हति ।
अर्थात् जिस क़र्ज़के लेने की आज्ञा पतिने दी हो और जिसकी ज़िम्मेदारी स्त्रीने ली हो; या जो क़ज़ उस स्त्रीने अपने पतिके साथ मिलकर लिया हो, या स्त्रीने स्वयं लिया हो, उस क़र्ज़की देनदार स्त्री होगी। इनके सिवाय किसी तरहके क़ीकी देनदार स्त्री नहीं है । विज्ञाश्वरने कहा है कि, शराब, रंडीबाज़ी; जुवा इत्यादिके लिये पतिके कहनेसे भी यदि स्त्रीने क़र्ज़ लिया हो तो भी उस क़र्ज़ की देनदार स्त्री नहीं है
अन्यत् सुराकामादि वचनो पात्तम् प्रतिपन्नमयि
पत्यासह कृत्मपि नदेय मिति । दफा ७९ पति पत्नीका अधिकार आपस में एक दूसरे की
जायदाद पर __अपने पतिकी जायदादमें स्त्रीको कोई अधिकार नहीं प्राप्त होता। और न पतिको अपनी स्त्रीके स्त्रीधनमें कोई अधिकार प्राप्त होता है। किंतु