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विवाह
प्रकरण
दाखिल है। और माना गया है कि इन कारणोंसे स्त्री अपने पतिसे अलग रहने का अधिकार रखती है। हुलार कुंवरि बनाम द्वारिका नाथ मिश्र 34 Cal 971; सीताबाई बनाम रामचन्द्रराव 12 Bom. L. R. 373; यही सूरत उस समय होगी जब पतिने कोई स्त्री घरमें बिठलाली हो (उढरी स्त्री)
(२) व्यभिचार-पतिका किसी दूसरी स्त्रीका अपने घरमें डाल लेना (उढरी बिठाल लेना) व्यभिचार है। ऐसी सूरतमें स्त्री, पतिसे अलग रह सकती है-लालगोविंद बनाम दौलत 14 W. R. 451; अगर पति घरमें रखी हुई रंडी या वेश्या या उदरी स्त्रीको निकाल देवे तब वह अपनी स्त्रीको फिर साथ रखनेका दावा कर सकता है, देखो-पैगी बनाम शिवनारायण 8 All 78.
(३) दूसरे धर्ममें चला जाना-अगर पति अपना धर्म छोड़कर दूसरे धर्ममें चला जाय अर्थात् ईसाई या मुसलमान होजाय, तो स्त्री पतिके पास रहनेसे इनकार कर सकती है-देखो मंसादेवो बनाम जीवनमल 6 Al1.617.
(४) जातिच्युत होना-अगर पति जातिच्युत होगया तो स्त्री पति के साथ रहनेसे इनकार कर सकती और न अदालत इस शर्तकी डिकरी देसकती है कि जब पति जातिमें शरीक किया जाय तब स्त्री उसके साथ रहे। पति के साथ न रहनेके लिये स्त्रीको यह साबित करना चाहिये कि पतिने वैवा हेक संबंध के विरुद्य कोई काम ऐसा किया है जिसके कारण स्त्री उसके साथ नहीं रहलकती। बिंदा बनाम कौशिल्या 13 All 126; शहादर बनाम रजवंता 27 All 96.
अगर पति पत्नीमेंसे कोई एक मुसलमान होजाय तो वैवाहिक सम्बन्ध नहीं टूट जाता पत्नीके मुसलमान होजानेपर पतिका अधिकार नष्ट नहीं हो जाता। हिन्दु पतिको अधिकार है कि अपनी स्त्रीको जो इसलाम में चली गई हो अपने कब्जे में रखे । हिन्दूलॉमें भी पतिको अधिकार है स्त्रीको अपने साथ रखे; देखो-जमुनादेवी बनाम मूलराज 49. P. R. 1909. ईसाई होजानेकी सूरतमें यह बात नहीं होगीक्योंकि ईसाई कानून लागू हो जायगा.
(५) नामर्दी या घृणितरोग -जो पति नामर्द हो या गलितकष्ट आदि घृणित रोंगोसे पीड़ित हो उसके साथ उसकी स्त्री रहनेके लिये मजबूर नहीं है। एक आदमी कुष्टरोग और आतशकसे पीड़ित था। उसने अपनी स्त्री को अपने साथ रखनेका दावा बम्बई हाईकोर्टमें किया अदालत ने उसका दावा रद्द करदिया:--देखो प्रेमकुंवर बनाम भीका कल्याणजी 5 Bom. H. C. RCI 209.
कोई स्त्री यह कहकर पतिके साथ रहनेसे नहीं बच सकती कि मैं बीमार रहा करती हूं या मेरे शरीरमें कोई ऐसा दोष है कि जिसके कारण पति