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बिल ]
वैवाहिक सम्बन्ध
जानेका उल्लेख किया गया है, वह न रक्खी जावे क्योंकि हमलोगों की राय में ऐसी कल्पना का किया जाना स्वयं उचित है तथा इस क्लाज़ को प्रभावावित करने के लिये भी इसकी आवश्यकता है ।
क्लाज़ ११ - - इस क्लाज़ के सम्बन्ध के दो प्रस्तावों को हम लोगों ने अस्वीकृत किया है । पहिला यह कि केवल व्यक्तिगत मुचलका ही लिया जाना चाहिये किसी दूसरे की ज़मानत उसके साथ न ली जाना चाहिये । दूसरा यह कि उस दशा में ज़मानत न ली जाना चाहिये जबकि अभियोग ऐसे मजिस्ट्रेट की स्वीकृति से चलाया गया है जिसे स्वयं उस अभियोग के न्याय करने का अधिकार है । हमारी समझ में दूसरे प्रस्ताव के अनुसार दो मिन २ जांचों तथा अनावश्यक शहादत के एकत्रित होनेकी सम्भावना है ।
३ -- हमने संस्करण ( Drafting ) में कुछ परिवर्तन किये हैं जिनका विस्तार पूर्वक दिया जाना अनावश्यक प्रतीत होता है । हमलोगों ने इस प्रस्ताव को अस्वीकृत कर दिया है कि इस एक्ट की घोषणा प्रान्तिक सरकार द्वारा होकर यह एक्ट प्रान्तों में अलहदा रूप से लागू किया जावे उक्त प्रस्ताव, बिलपर प्रकाशित की हुई सम्मतियों में मिलेगा । हमारे विचार में इस प्रकार का नियम क़ानून की अवहेलना करने में विशेष सहायक होगा क्योंकि बालविवाह उस प्रान्त में किये जासकेंगे जहां यह एक्ट लागू नहीं होगा गो विवाह करने वाले व्यक्ति चाहे उस प्रान्त के रहने वाले हों जहां कि यह एक्ट लागू है ।
५-- हमारे विचारमै बिलमेंकोई ऐसा परिवर्तन नहीं हुआ है कि जिसके कारण यह बिल दुबारा प्रकाशित किया जावे। और हम सिफारिश करते हैं कि बिल जैसा कि अब संशोधित होकर तैय्यार हुआ है पास किया जावे ।
जे० क्रेशर
एम० श्रार० जयकर * एम० एम० मालवीय रङ्गबिहारीलाल से०घनश्यामदास बिड़ला
F ११५
एम० यूसुफ इमाम
एच०बी०सारदा लाला लाजपतराय * एम०डी०याकूब * एच०ए०जी० गिडनी एच०एस० गौड़ एस० श्रीनिवास आयकर जे०सी०चटर्जी * नीलकंठदास गङ्गानन्दसिंह
* एम०डी० रफीन
ठाकुरदास भार्गव जे० ए० शिलडी
१३ वीं सितम्बर सन १६२८ ई०
* नोट- दिये हुये मतभेदों के साथ यानी इनका मत मेद था । ( कमेटी में बहस )
श्री मुहम्मद रफीक़
चूँकि बिल का उद्देश्य मुसलमानों के जाती क़ानून में बाधा उत्पन्न करता है इसलिये यह क़ानून मुसलमानों के लिये बिलकुल लागू न