Book Title: Padmapuran Bhasha
Author(s): Digambar Jain Granth Pracharak Pustakalay
Publisher: Digambar Jain Granth Pracharak Pustakalay
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पद्म
पुराण ५५३
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है इसलिये कीर्ति का बंश सूर्यवंश कहलाता है इस सूर्यवंश में राजा कीर्ति के सतयश नामा पुत्र भये इन के बलांक तिनके सुबल तिनके महाबल महा बलके अति बल तिनके अमृत अमृत सुभद्र तिनके सगर तिनके भद्र तिनके रवितेज तिनके शशी तिनके प्रभुततेज तिनके तेजस्वी . तिनके तपबल महा प्रतापी तिनके अति वीर्य तिन के सुवीर्य तिन के उदित पराक्रम तिन के सूर्य तिनके इन्द्रद्युमा तिनके महेन्द्रजित तिनके प्रभु तिनके विभु तिनके अविध्वंस तिनके वीतभीतिन
बृषभध्वज तिनके गरुड़ांक तिनके मृगांक, इस भांति सूर्य वंश विषे अनेक राजा भए ते संसार के भ्रमण ते भयभीत पुत्रों को राज देय मुनित्रत के धारक भए महा निग्रन्थ शरीर से भी निस्पृही यह सूर्यवंशकी उत्पत्ति तुझे कही अब सोमवंशकी उत्पत्ति तुझे कहिये है सो सुन ।
ऋषभदेवकी दूसरी राणी के पुत्र बाहुबली तिनके सोमयश तिनके सौम्य तिनके महाबल तिनके सुबल तिनके भुजबली इत्यादि अनेक राजा भए निर्मल है चेष्टा जिनकी मुनित्रत धार परम धाम को प्राप्त भए, एक देव होय मनुष्य जन्म लेकर सिद्ध भए यह सोमवंश की उत्पति कही |
अब विद्याधरन के बंश की उत्पत्ति सुन ।
नमि रत्नमाली तिनके रत्न बज्र तिनके रत्न रथ तिन के रत्नचित्र तिनके चन्द्ररथ तिनके बज् जंघ तिनके वज्रसेन तिनके वज्रदंष्ट तिनके वज्रधुज तिनके बज्रध्वध तिनके बजू तिनके मुवज्र तिन के बज्रभृत् तिनके बचभ तिनके बज्रबाहु तिनके बच्चांक तिनके वज्र सुन्दर तिनके बज्रास्य तिनके बज्रपाणि तिनके बज्रभानु तिनके बज्रवान तिनके विद्युन्मुख तिनके सुवक्र तिनके विद्युदंष्ट्र और
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