Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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सुघा टीका स्था० ३ उ०३२सू०५७ कर्मभूमिस्थमनुष्यधर्मनिरूपणम् १५९ सम्यमिथ्यारुचिः २। त्रिविधः प्रयोगः प्रज्ञप्तः, तद्यथा सम्यकप्रयोगः, मिथ्याप्रयोगः, सम्यमिथ्यामयोगः ३। त्रिविधो व्यवसायः प्रज्ञप्तः, तद्यथा-धार्मिकोव्यवसायः, अधार्मिको व्यवसायः, धार्मिकाधार्मिको व्यवसायः ४। अथवा त्रिविधो व्यवसायः प्रज्ञप्तः, तद्यथा-प्रत्यक्षः प्रात्ययिकः आनुगामिकः ५। अथवा त्रिविधो व्यवसायः प्रज्ञप्तः, तद्यया-ऐहलौकिकः, पारलौकिकः, ऐहलौकिकपारलौकिकः ६। ऐहलौकिको व्यवसायस्त्रिविधः प्रज्ञप्तः, तद्यथा लौकिका, वैदिकः, सामयिका ७। लौकिको व्यवसायस्त्रिविधः प्रज्ञप्तः, तद्यथा-अर्थों धर्मः कामः ८। वैदिको व्यवसायत्रिविधः प्रज्ञप्तः, तद्यथा-ऋग्वेदः, यजुर्वेदः, सामवेदः ९। सामयिको व्यवसायत्रिविधः प्रज्ञप्तः, तद्यथा-ज्ञानं, दर्शनं, चारित्रम् १०। त्रिविधार्थयोनिः मज्ञप्ता, तद्यथा-साम, दण्डः, भेदः ११ ॥सू० ५७॥ -सम्यग्रुचि, मिथ्यारुचि और सम्यमिथ्यारुचि, प्रयोग तीन प्रकारका कहा गया है-जैसे-सम्यक् प्रयोग, मिथ्याप्रयोग और सम्यक् मिथ्या. प्रयोग, व्यवसाय तीन प्रकारका कहा गया है जैसे-धार्मिक व्यवसाय, अधार्मिक व्यवसाय, और धार्मिकाधार्मिक व्यवसाय-अथवा इस तरह से भी व्यवसाय के तीन भेद कहे गये हैं-एक प्रत्यक्ष, दूसरा प्रात्ययिक और तीसरा आनुगामिक अथवा-ऐहिलौकिक, पारलौकिक
और ऐहलौकिक पारलौकिक, इनमें ऐहलौकिक व्यवसाय तीन प्रकारका कहा गया है -जैसे लौकिक, वैदिक सामायिक, इनमें लौकिक व्यवसाय तीन प्रकार का कहा गया है-जैसे-अर्थ, धर्म और काम, वैदिक व्यवसाय तीन प्रकारका कहा गया है । जैसे-ऋग्वेद, यजुर्वेद और सामवेद, सामयिक व्यवसाय भी तीन प्रकार का कहा गया है। जैसे(२) भिथ्यायि भने (3) सभ्य३ मिथ्याथि. प्रयास त्र प्र४१२४॥ छ (१) सभ्य प्रया, (२) मिथ्याया। मने (3) सभ्य भिथ्याप्रयोग. व्य. સાય ત્રણ પ્રકારના કહ્યા છે-(૧) ધાર્મિક વ્યવસાય, (૨) અધાર્મિક વ્યવસાય અને (૩) ધામિકા ધાર્મિક વ્યવસાય. અથવા વ્યવસાયના આ પ્રમાણે ત્રણ ભેદ પણ ५४ छ-(१) प्रत्यक्ष, प्रात्ययि मने (3) मानुभि3. मथ (१) मेडमी (२) पारसी भने (3) मैडौ8 पासो४ि. तमांना मैं तो व्यपसायना Y ४२ ४ा छ-(१) तौ४ि, (२) वै िमने (3) सामयि४. पणी सी व्यवसायना ५ नीचे प्रमाणे त्र २ ४ा छ-(१) मथ, (२) यम भने (3) म. वै व्यवसायना ५१ २ ४.२ ४छ-(१) વેદ, (૨) સામવેદ અને (૩) યજુર્વેદસામયિક વ્યવસાયના પણ નીચે
શ્રી સ્થાનાંગ સૂત્ર : ૦૨