Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 748
________________ सुघा टोका स्था० उ०२सू०६१ जम्बूद्वीपगतभरतैरवतयोः कालनिरूपणम् ७३३ पूर्व मानुषोत्तरे पर्वते कूटानि निरूपितानि, सम्प्रति तेनाऽऽतक्षेत्राणि निरूपयितुमाह - मूलम्-जंबुद्दीवे दीवे भरहेरवएसु वासेसु तीयाए उस्सप्पिणीए सुसमसुसमाए समाए चत्तारि सागरोवमकोडाकोडीओ कालो हुत्था, जंबुद्दीवे दीवे भरहेरवएसु वासेसु इमीसे ओसप्पिणीए सुसमसुसमाए समाए चत्तारि सागरोवमकोडाकोडीओ कालो हुत्था जंबुद्दीवे दीवे भरहेरवएसु वासेसु आगमेस्साए उस्सप्पिए सुसमसुसमाए समाए चत्तारि सागरोवमकोडा. कोडीओ कालो भविस्सइ ॥सू० ६१ ॥ छाया-जम्बूद्वीपे द्वीपे भरतैरवतयोर्षयोरतीतायामुत्सर्पिण्यां सुसमसुषमायां समायां चतस्रः सागरोपमकोटाकोटयः कालोऽभूत् जम्बूद्वीपे द्वीपे भरतैरवतयोवर्षयोरस्थामवसपिण्यां सुषमसुषमायां समायां चतस्रः सागरोपमकोटाकोटयः अब सूत्रकार इन कूटोंसे आवृत्त क्षेत्रोंकी प्ररूपणा सूत्र कहते हैं " जंबुद्दीवे दीवे भरहेरवरसु" इत्यादिसूत्रार्थ-जम्बूद्वीपमें भरत और ऐरवत क्षेत्रों में अतीत उत्सर्पिणीमें सुषम सुषमाकालमें चार सागरोपम कोडाकोडीका काल था। जम्बूद्वीपमें भरत और ऐरवतक्षेत्र में इस वर्तमान अवसर्पिणीमें सुषम सुषमाकालमें आरकमें चार कोटाकोटि सागरोपम काल हुवा था। इस जम्बूद्वीप હવે સૂત્રકાર એ કૂટવડે આવૃત ક્ષેત્રની પ્રરૂપણ કરે છે. " जबुद्दीवे दीवे भरहेरवएसु" त्याह સ્વાર્થ-જંબુદ્વીપના ભરત અને ઐરાવત ક્ષેત્રમાં અતીત ઉત્સર્પિણીમાં સુષમ સુષમકાળમાં ચાર સાગરોપમ કેડાછેડીને કાળ હતે. જબૂઢીપના ભરત અને અરવત ક્ષેત્રમાં વર્તમાન અવસર્પિણીમાં પણ સુષમ સુષમાં આરો ચાર કટાકેદી સાગરોપમ પ્રમાણુકાળનો હતે. આ જંબુદ્વીપ નામના દ્વીપના ભરત અને અરવત ક્ષેત્રમાં ભવિષ્યની ઉત્સર્પિણીમાં શ્રી સ્થાનાંગ સૂત્ર : ૦૨

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