________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir
विषयानुक्रमणिका
हिन्दीभाषाटीकासहित
(६७)
विषय पृष्ठ | विषय
पृष्ठ आगामी भवों के विषय में भगवान महावीर | आगामी भनों के सम्बन्ध में भगवान महासे पूछना । भगवान द्वारा वृहस्पतिदत्त के आ- वीर से पूछना । गामी भवों का मोक्षपर्यन्त निरूपण करना। भगवान महावीर स्वामी का नन्दिषेण के ३६६ अथ षष्ठ अध्याय
आगामी भवों के सम्बन्ध में मोक्षपर्यन्त छठे अध्ययन की उत्थानिका ।
३३८ |
वर्णन करना। मथुरा नगरी के श्रीदाम नामक राजा और ३३६, . अथ सप्तम अध्याय उस की बन्धुश्री भार्या, नन्दीवर्धन नामक सप्तम अध्याय की उत्थानिका । ३७३ राजकुमार और राजा के चित्र नामक उम्बरदत्त का संक्षिप्त परिचय । ३७४ नापित का संक्षिप्त परिचय।
गौतम स्वामी का एक दीन हीन और रुग्ण ३७५ श्री गौतम स्वामी जी का मथुरा नगरी के ३४१ | व्यक्ति को देखना। राजमार्ग के चत्वर में एक पुरुष को देखना
| गौतम स्वामी जी का दूसरी बार पुनः उसी ३८२ और उस के पूर्वभव के विषय में भगवान से | रोगी व्यक्ति को देखना । अन्त में भगवान पूछना, जिस को अग्नितुल्य लोहमय सिंहासन से उस के पूर्वभव के विषय में पूछना । फलतः पर बिठाकर ताम्रपूर्ण, त्रपुपूर्ण तथा कलकल भगवान का कहना। करते हुए गरम २ जल से परिपूर्ण लोहकलशों | इस जीव का धन्वन्तरि वैद्य के भव में स्वयं ३८६ के द्वारा राज्याभिषेक कराया जा रहा था। मांसाहार करना तथा दूसरों को मांसाहार का पूर्वभव का विवेचन करते हुए भगवान का ३४५ | उपदेश देना। अन्त में नरक में उत्पन्न होना। दुर्योधन नामक चारकपाल- जेलर का तथा सागरदत्त सेठ की गंगादत्ता नामक भार्या ३६६ उस के कारागृह की सामग्री का वर्णन करना। । का किसी जीवित रहने वाले बालक अथवा दुर्योधन चारकपाल द्वारा अपराधियों को दिए ३५१ बालिका को प्राप्त करने की कामना करना। जाने वाली क्रूरतापूर्ण यन्त्रणाओं का वर्णन । .. सागरदत्त सेठ की भार्या गंगादत्ता का उम्ब-४०५ दुर्योधन चारकपाल का मर कर नरक में जाना ३५६ । रदत्त नामक यक्ष की सन्तानप्राप्ति के तथा वहां से निकल कर श्रीदाम राजा के । लिए मनौती मनाना। घर उत्पन्न हो कर नन्दिषेण के नाम से धन्वन्तरि वैद्य के जीव का नरक से निकल ४०॥ विख्यात होना। नन्दिषेण राजकुमार का
कर गंगादत्ता के गर्भ में पुत्ररूप से आना श्रीदाम राजा की घात करने के लिए अव- और गंगादत्ता को दोहद का उत्पन्न होना। सर की प्रतीक्षा में रहना।
गङ्गादत्ता के पुत्र का उत्पन्न होना और उस ४१३ नन्दिषण का श्रीदाम राजा की हत्या के ३६३ का उम्बरदत्त नाम रखना, तथा उस बालक लिए चित्र नामक नापित के साथ मिल कर के शरीर में १६ रोगों का उत्पन्न होना । षडयन्त्र करना। नापित का इस उक्त रहस्य गौतम स्वामी का भगवान् से उम्बरदत्त के ४२० को राजा के प्रति प्रकट करना। अन्त में । आगामी भवों के सम्बन्ध में पूछना । राजकुमार का राजाज्ञा द्वारा वध किया जाना। भगवान महावीर का उम्बरदत्त के आगामी ४२१ श्री गौतम स्वामी का राजकुमार नन्दिषेण के ३६८ भवों का मोक्षपर्यन्त वर्णन करना ।
For Private And Personal