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श्री विणक सूत्र
[दमरा अध्याय
अर्थात् जिस स्त्री को सन्तान उत्पन्न होते ही मरजाती है वह स्त्री लोकस्थिति की विचित्रता से जातमात्र (जिस की उत्पत्ति अभी २ हुई है। जिस किसी भी सन्तान को जीवनरक्षा के निमित्त अवकर-कूड़ा कचरा आदि में फैंक देती है उस अपत्य का नाम अवकरक होता है। रूडो पर जाने से बालक का नाम उत्कुष्टक, छज्ज में डाल कर फैंके जाने से बालक का नाम शूर्पक, लोकभाषा में जिसे छज्जमल्ल कहते हैं, इत्यादि नाम स्थापित किये जाते हैं. इसे ही जीवितनाम कहते हैं । अवकरक आदि नाम करण में अधिकरण (आधार) की मुख्यता है और उज्झितक आदि नामकरण में क्रिया की प्रधानता जाननी चाहिए।
इस के अतिरक्त पांच धायमाताओं ( वह स्त्री जो किसी दूसरे के बालक को दूध पिलाने और उस का पालनपोषण करने के लिये नियुक्त हो उसे धाय माता कहते हैं के द्वारा उस उज्झितक कुमार के पालनपोषण का प्रबन्ध किया जाना नवजात शिशु के प्रति अधिकाधिक ममत्व एवं माता पिता का सम्पन्न होना सूचित करता है।
__ बालक को दूध पिलाने वाली धायमाता नीरधात्री कहलाती है ! स्नान कराने वाली धायमाता मज्जनधात्री, वस्त्राभूषण पहनाने वालो मजनधात्री, क्रीडा कराने वालो कोडापनधात्री ओर गोद में लेकर खिलाने वाली धायमाता अंधात्री कही जाती है । इन पांचों धाय माताओद्वारा, वायु तथा आघात से रहित पर्वतीय कन्दरा में विराजमान चम्पक वृक्ष की भांति सुरक्षित वह उज्झितक बालक दृढ़प्रतिज की तरह सुरक्षित होकर सानन्द वृद्धि को प्राप्त कर रहा था । दृढ़प्रतिज्ञ की बाल्यकालोन जीवन चर्या का वर्णन औपपातिक सूत्र अथवा राजप्रश्नीय सूत्र से जान लेना चाहिये । उक्त सूत्र में दृढ़प्रतिज्ञ की बाल्यकालीन जीवन-चर्या का सांगोपांग वर्णन किया गया है ।
"-दढपतिपणे जाव निव्वाय-, यहां पठित "-दढपतिराणे-"पद से दृढ़प्रतिज्ञ का स्मरण कराना ही सूत्र कार को अभिमत है । दृढप्रतिज्ञ का संक्षिप्त जीवन - परिचय पृष्ठ १०० पर कराया जा चुका है। तथा "-जाव-यावत्-" पद से श्री ज्ञातासूत्रीय मेघकुमार नामक प्रथम अध्ययन का पाठ अभिमत है । जो कि निम्नोक्त है
-अन्नाहिं बहूहिं खुज्जाहिं चिलाइयाहिं वामणी-वडभी-बब्बरी- बउसि-जोणिय-पल्हवि-इसिणिया-चाधोरुगिणी-लासिया-लउसिय-दमिलि-सिंहलि- प्रारबि - पुलिदि-पक्कणि-बहलि-मुरुण्डि-सबरि-पारसीहिं जाणादेसोहि विदेसपरिमण्डियाहिं इंगियचिन्तिय-पत्थिय -वियाणाहिं सदेसणेवत्थगहियपवेसाहिं निउणकुसलाहिं विणीयाहिं चेडियाचक्कवालवरिसधरकंचुइअमहयरग्गवंदपरिक्वित्ते हत्याओ हत्थं संहरिज्जमाणे अंकाओ अंकं परिभुज्जमाणे परिगिज्जमाणे चालिज्जमाणे उवलालिज्जमाणे रम्मंसि मणिकोटिमतलंसि परिमिज्जमाणे-" ___इन पदों का भावाथ निम्नोक्त है
अन्य बहुत सी कुब्जा-कुबड़ी, चिलाती-किरात देश के रहने वाली, अथवा भील जाति से सम्बन्ध रखने वाली, वामनी-बौनी ( जिस का कद छोटा हो ), बड़भी-पीछे या आगे का अंग जिस का बाहिर निकल आया हो अथवा जिस का पेट बड़ा हो कर आगे निकला हुआ हो वह स्त्री, बर्वरा-बर्वर देश में उत्पन्न स्त्री, बकुशा बकुशदेश में उत्पन्न स्त्री, यवना - यवनदेश में उत्पन्न स्त्री, पल्हविकापल्हवदेशोत्पन्न स्त्री, इसिनिका-इसिनदेशोत्पन्न स्त्री. धोरुकिनिका - देशविशेष में उत्पन्न स्त्री, लासिका
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