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पश्चम अध्याय ]
हिन्दी भाषा टीका सहित ।
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णीहरणं करेति २ वहहिं लाइयाइ मयकिच्चाई करेति । तते णं ते वहवे राईसर० जाव सत्थवाहा उदयणं कुमारं महया २ रायाभिसेगेणं अभिसिंचंति । तते णं से उदयणे कुमारे राया जाते महया० । तते णं वहस्सतिदत्ते दारए उदयणस्स रएणो पुरोहियकम्म करेमाणे सबढाणेसु, सव्वभूमियासु, अंतेउरे य दिएणवियारे जाते यावि होत्था । तते णं से वहस्सतिदत्ते परोहिते उदयणस्स रएणो अंतेउरं वेलासु य अवेलासु य काले य अकाले य राम्रो य वियाले य पविसमाणे अन्नया कयाइ पउमावतीए देवीए सद्धि उरालाई० भुजेमाणे विहरति । इमं च णं उदयणे राया एहाए जाव विभूसिए जेणेव पउमावती देवी तेणेव उवागच्छइ २ वहस्सतिदत्तं पुरोहितं पउमावतीए देवीए सद्धि उरालाई . भुजेमाणं पासति २ आसुरुचे तिवलियं णिडाले साहट्ट वहस्सतिदत्तं पुरोहितं परिसेहिं गेण्हावेति २ जाव एतेणं विहाणेणं वझ प्राणवेति । एवं खलु गोतमा ! वहस्सतिदने पुरोहिते पुरा पुराणाणं जाव विहरति ।
पदार्थ-से णं-वह – अर्थात् महेश्वरदत्त पुरोहित का जीव । ततो-वहां से अर्थात् पांचवीं नरक से । अणंतरं-व्यवधानरहित । उज्वहित्ता-निकल कर । इहेव-इसी। कोसंबीए-कौशाम्बी । जयरीए -नगरी में । सोमदत्तस्स-सोमदत्त । पुरोहितस्स -पुरोहित की । वसुदत्ताए-वसुदत्ता । भारियाएभार्या के । पुत्तत्ताए-पुत्ररूप से । उववन्ने-उत्पन्न हुआ। तते णं-तदनन्तर अर्थात् उत्पन्न होने के पश्चात् तस्स-उस । दारगस्स-बालक के । अम्मापितरो-माता पिता । णिवत्तबारसाहस्स-बालक के जन्म से लेकर बारहवें दिन । इमं-यह। एयारूवं-इस प्रकार का । नामधिज्ज-नाम । करति-करते हैं । जम्हा णं-जिस कारण । अम्हं-हमारा । इमे-यह । दारए -बालक । सोमदत्तस्स- सोमदत्त । पुरोहियस्स-पुरोहित का । पुत्त -पुत्र, और । वसुदत्ताए - वसुदत्ता का । अत्तए - आत्मज है । तम्हा णं--इस कारण । अम्हं -हमारा यह । दारए - बालक । वहस्सतिदत्त - वृहस्पतिदत्त । नामेणं-नाम से । होउ -हो । तते णं -तदनन्तर । से-वह । वहस्सतिदत्ते-वृहस्पतिदत्त । दारए-बालक । पंचधातीपरिग्गहिते-पांच धाय माताओं से परिगृहीत हुा । जाव-यावत् । परिवडढति-वृद्धि को प्राप्त होने लगा । तते णं-तदनन्तर । से-वह । वहस्सपतिदत्ते-वहस्पतिदत्त बालक । उम्मुक्कबालभावे - बालभाव को त्याग कर । जोव्वणगमणुप्पत्त-यौवन अवस्था को प्राप्त हुआ, तथा । विगणायपरिणयमेत्त - विज्ञातपरिणतमात्र - जिस का विज्ञान परिपक्व अवस्था को प्राप्त हो चुका है, । होत्या-था । से णं- वह - वहस्पतिदत्त। उदयणस्त - उदयन । कुमारस्स-कुमार का । पियबालवयंसे -प्रिय बालमित्र अर्थात् वहस्पतिदत्त उदयन कुमार को प्यारा था और उसका वह बाल्यकाल का मित्र । यावि होत्था- भी था, कारण कि । सहजायर'दोनों का जन्म एक साथ हुआ । सहवढ़िए -दोनों एक साथ हो वृद्धि को प्राप्त हुए। सहपंसुकीलियए-साथ ही पांसुक्रीडा - धूलिक्रीडा अर्थात् बालक्रीड़ा किया करते थे। तते णं-तदनन्तर ।
(१) सहजातक:-समानकाले उत्पन्नः, सहवर्धितकः-सहैव वृद्धि प्राप्तः, सहपांसुक्रीडितः - सहैव कृतबालक्र.डः।
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