Book Title: Vipak Sutram
Author(s): Gyanmuni, Hemchandra Maharaj
Publisher: Jain Shastramala Karyalay

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Page 825
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir परिशिष्ट नं० ३] हिम्दो भाषा टोका सहित । лек ܕܕ इतन अशुद्ध शुद्ध पृष्ठ पंक्ति | अशुद्ध शुद्ध पृष्ठ पंक्ति | अशुद्ध शुद्ध पृष्ठ पंक्ति अधुवन्नो अध्युपपन्नो १६६ २८ | तियग्भोगों तिर्यग्भोगों १८२ १७ हुई २१५ ४ अत्यत अत्यन्त १७१ ५ बारह बारहवें , २२ पञ्चविध षड्विध भों , ११ भी १७२ ७ व्यतीत सम्प्राप्त भित्र नहीं नहीं , २३ मित्र २१७ २६ सौधम __सौधर्म १८३ ६ विणेति विणेन्ति विक २१८ । विकृत , प्रमातिरेक प्रेमातिरेक , १२ इच्छा , २२ पांच छः २१६ ४ अपनी वाणों सग्रह अपने संग्रह , १५ बाणों . १८४ ८ २२० १० वासनाओ वासनाओं ,, २३ | कन्धे कन्धों सन्दभितः सन्दर्भितः , २५ २२१ । लिये समुदायारे समायारे १८५ २८ के लिये है। तत्पर्य २२२ १७ + १७३ १५ कि काम के टिप्पण की टिप्पणी ,, २६ पंचविध षड्विध २२५ ७ ध्वजा वेश्या इतना १८६ ६ की , १५ गत अशुभ सत्कार संस्कार , १३ परिपूर्ण लगभग परिपूर्ण, २२ आत्म परिबोहिं + १८७ ३२ लगभग नौ २२६ ५ णाम सम्पन्न स्कन्ध सम्बन्ध श्रुतस्कन्ध १८८ १७ यह है होने से सम्बन्धि २२७ ८ उज्झितकुमार प्राय प्रायः १८८ १५ लगभग नौ ,, १५ पूति पूर्ति १५३ १६ पक्षीगण पक्षिगण , ३१ के टिप्पण की टिप्पणी २२८ १३ कता करता १७४ ११ | स्वेछा . स्वेच्छा , ३३ पदाथा पदार्थों २३१ १० गात्र गानं , ३३ दुख के टिप्पण की टिप्पणी में ,, ३४ महितग महितगत्तं १७५ ३ कीयत कियत् २३५ २५ स्वप्नों स्वप्नों , २७ वणन वर्णन | जीवचर्या जीवनचर्या २३६ २० , २१ पवडवा पकडवा १७६ १५ अध्ययन | करें १६२ ११ श्रध्ययन कराएं २३८ १८ आशुरोक्तः आसुरोक्त: १७७ १६ १६७ २३ ग्राम आदि २३६ ६ कहते आशुरुक्त आसुरोक्त , १५ भिएण भिन्न २०१६ वहां वहीं २३६ २६ मिसमिसीमाण मिसिमिसी जीवगाहं जीवग्गाहं वन , १८-२३ २४५ १६ गये जाते परीक्षे परोक्षे १७८ २४ के टिप्पण की टिप्पणी २०३ १४ २४७ २८ पंचविध षड्विध , ३० विरुणाय विएणय १७६ १० भान मान , २७ , १६ | दुहितः | जासूस विज्ञान दुहितः विज्ञक जासूसों २०४ २६ २४८-१२ पांच छः २४६ ७ यथा , २७ | शास्त्र शस्त्र , ३२ समुदाचार समाचार का टिप्पण की टिप्पणी २५० ३२ अगर नगर २०७ ३ ३२-३३ सेनश्चो सेनश्चोर २५१ २४ , भिरणे १८० १६ ५ भिन्न दशनार्थ दर्शनार्थ | का टिप्पण की टिप्पणी २५३ ३५ कमा | श्वशुर- श्वशुर- २०८ १८ सैनिकी सैनिकों व्यतीत सम्प्राप्त १८१ १/शाल २५६ १४ श्याल , १८ सा विण्णाय विण्णय ५] समायरे समायारे २१३ ३४/ अभितार्थ अभिमतार्थ .. १६ के २१४ ६-१० महारज महाराज २६० १७ माले बाले , २१ | पंचविध षड़विध . , १६ | दुसाध्य दुस्साध्य , १९ ग्रामों करते " ३७ बन या " ३० कर्मों " १० For Private And Personal

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