Book Title: Vipak Sutram
Author(s): Gyanmuni, Hemchandra Maharaj
Publisher: Jain Shastramala Karyalay

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Page 827
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir ३७ रे परिशिष्ट नं० ३] हिन्दी भाषा टोका सहित । (७३७) अशुद्ध शुद्ध पृष्ठ पंक्ति अशुद्ध शुद्ध पृष्ठ पंक्ति | अशुद्ध शुद्ध पृष्ठ पंक्ति प्रमार्जन ४०८ १४ लिये के लिये प्रमाजन ४६२ १६ ३६७४८६ ७ अथ अर्थ ४४२ ४ नहीं नाहीं ४६३ २ डवक्खड़ा उवक्खड़ा , १४ | निदित निन्दित , ७ अमोद प्रमोद , १० सुबहु , २६ छुटता से छूटता , ३४ मानवता दानवता , १८ अथात् अर्थात् ४११ २४ विवर्ण विवरण ४४५ ६ उतारु उतारू , २२ माताएं . सार्थवाह , ३५ शोरिक शौरिक ४४७ २२ टिप्पण टिप्पणी ४६४ सार्थवाह माताएं , ३६ के टिप्पण की टिप्पणी ४५० ३३ उन तज्जन्य होना होने ४१२ १८ पाशेश्च पाशैश्च ४५१ २६ टिप्पण टिप्पणी ४६८ के टिप्पण की टिप्पणी ,, ३० शोरिक शौरिक. ४५६ ६ + , ३६ | | व्यवहारिक व्यावहारिक ४५७ ३२ पढे में में पढ़े , आसादन्ति आसादेन्ति ४१३ १/किकाल निकाल ४५८ ६ हां यहां , ६ पदा पदों पदों का ४५६ १० पदों पदों का , २२ विवर्ण विवरण ,, २१ | विचारी बेचारी ४६८ २७-२८ अणुगिहइ अणुगिरहइ ५०० ३३ अथ अर्थ , २३ | के टिप्पण की टिप्पणी ४६६ १३ उज्जवल उज्ज्वल ५०२ १५ रोगातक रोगातङ्क ४१४ २३ शरोभूषण शिरोभूषण ४७० ३२ | अन्तगढ़ अन्तगडू ५०३ ३६ शटितन्त शटितहस्त , ३३ | द्वीप द्वीपों ४७१ ३४ | २ ५०४ १२ - दुखी दुःखी ४१५६ विवर्ण विवरण ४७४ २८ कुछ ४१६ २४ किरणों किरणें ४७५ ६ विउलं ५०५ ५ रोगक्रान्त रोगाक्रान्त , २८ आभूषण आभूषणों ५७७ २ प्ररेणा प्ररणा ४१६ २३ देवदत्ता ५०७ २६ पृठ पृष्ठ ४७६८ अनुभूति अनुभूति ४२२ २६ ३७७३७ ३७७३ ५०७ ३६ अतः सोचने से सोचने ४२३ १७ टिपप्ण टिप्पणी ५०८ १३ बाधाय बाधाएं की को , ३३ महती महती १ , ३२ उतार उतारू तस्स तस्य ४२६ ३२ सहस्त्र सहस्त्र ५१० मिद्ध सिद्ध समुद्र समुद्र उद्वतन उद्वतन , , विवर्ण विवरण ४२८ २५ सहस्त्र सहस्र ५१२ २७ परिजणाइ परिजाणाइ ४८४ १५ टिप्पण टिप्पणी त्वच त्वचा , १३ तच्छेयः तच्छ्यः , २३ भरि भूरि टिप्पण टिप्पणी , २४ कोवघर कोवघरे ४८५ १३ विवर्ण विवरण रही रही हो ४८६ ३२ जिज्ञासु इच्छुक ___इच्छुक ५१२ ३४ के कारण तथ तथा ४८७ ४ माजतां मजितां ५१३ २२ को आइ मेरे आई ५१५ ३३ टिप्पणी टिप्पण , ३६ , ५ किम्पक किम्पाक ५१६ ४ के ४३७ १० गभित आकर्षण ५१६ १६ गर्भित ४३८ ४ अदीपितानि आदीपितानि ४६०३० आकषण वर्षों राजा त्याज्य ४६१ ३०/राया ५२० १२ याज्य ४४०२६ वर्ष ४४१ ३ के टिप्पण की टिप्पणी ,, ३५ | सद्वि सद्धि ५२० १५ दवदत्ता ४८१ ३२ वर्ष वर्षों का क का For Private And Personal

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