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(७३८)
श्री विपाक सूत्र-"
[पाराशष्ट नं०३
की
१२
को
अशुद्ध शुद्ध पृष्ठ पंक्ति अशुद्ध शुद्ध पृष्ठ पंक्ति अशुद्ध शुद्ध पृष्ठ टक्ति सन्बन्धि सम्बन्धि ५२१ ५ | उन उस ५५२ १३ | उपस्थि उपस्थित ६०६ २ के टिप्पण की टिप्पणी ,, ३१ | गुणशील गुणशिलक , ५७ | वधकता वर्धकता ६०८ १६ उतारु उतारू ५२४ २७ | बालश्री बला ५५३ १०] आर्किषत अकर्षित
६१० २४ | जन और
जैन ५५४ ३६ ओर ५२६ १४
ले से ले ६११ २० घणदेवा धणदेवो
टिप्पण , २२ टिप्पणी ५५५ ६
श्रमन् मुख
श्रमण ५५८ २७
प्रमुख समासरणं समोसरणं ,, २३ धमानपुर वर्धमानपुर ५२७ ५
प्रातिदान प्रीतिदान ५५८ २८ | अस्थ
और अस्थि
महारानी रानी ३२ ,
५५६ १६
क के टिप्पण की टिप्पणी ५२६ ४
मगलकारी मंगलकारी ५५६ ३० भा भी ५६१ ५
कुच्छ कुछ वेसमणद वेस्मणदत्ते ५३० ११ पाकिस्तान (पाकिस्तान , २२
नकस्कार नमस्कार वर्ष वर्षों ५३१ ३
सन्तुस्सद्द सन्तुस्सइ लिया लिया) अजूश्री अजूश्री , ३१
, २६ था
या बाहें बाहे ५६३ ५८ टिप्पण टिप्पणी , ३४
लम्भिते लाभिते ये से उस के ५३२ २३ कुक्कुटों, कुक्कुटों
दिथा दिया ६३२ ३० प्रयोग प्रयोक्ता , ३०
का के ५६५ १ | उठ उठा ६३३ २८ कथाङ्ग० कथाङ्ग ५३४ २४ | नाहिं नाहीं
, २२ | गछेत् गच्छेत् ६४५ २७ दियडा हियउड्डा
सुणन्ति सुणेन्ति
६४६ १४ विवर्ण विवरण ५३५ ५ मान्य उत्तम ५६६
६४८ ३० टिप्पण टिप्पणी
टिप्पण
टिप्पणी ५७२ ३५| नांहि नाहीं ६५२ ६ वस्तुत प्रस्तुत नाहि नाहीं ५७३ २४]
" ६५३६ Vघाटक शृंगाटक धमें धर्म ५७५ ६हस इस
६५८ २३ प्रदमवदत एवं बदत
अगवत - अणुव्रत , १३ | ववज्जि उववज्जि ६६६ २६ जाणिसूलं जोणिसूलं
तात्पय तात्पर्य ५७ ७११ लोक . देवलोक ६६८ १३ अजू अजू
अनथ अनर्थ .. १७ किचच्छेद कचिच्छेद ६७४ ३४ गई गई है , १८
देखा।
कचदौ कचिदौ २|दखा
६७५ ३२ मुवशम मुपशम , २८
करेगा दश
करेगा और ६७५ १७ दिशं
झूठा .. ४ | झूठ
गौतम ६८३ १३ के टिप्पण की टिप्पणी, ३२ | वतन्तः
क्रमश आवश्यकनि- अनुयोग
क्रमशः - ६८६ २४ उपशान्त उपशान्त-५३७ ३
जिनदास सुवासवकुमार६८७६ के पीड़ा की पीड़ा ५३८ ३] युक्ति द्वार
की पयन्त
६८६ . पर्यन्त ५४३ ७ उस .. उस का
उक्खेव ऊक्खेवो , ७०...... महव्वलो महब्बलो ५५० १६ टिप्पण टिप्पणी
कुमारस्य कुमारस्य। ७० भी गुणशील गुणशिलक ५५१ २
६०२ १६ । झुण्डों भुण्ड ६०३ २१
अध्ययन अध्ययनों ७ अथ अर्थ ५५१ २४/ अभिसम- अभिसम
इसी ७०७
अन्तकृ- अन्तकृशाङ्ग समाप्त सम्प्राप्त , २६ / एणा न्ना ६०४ २३
५६७ ५ ... ५६६ १४-३०
, २८
५८०
र
गोतम
।
वन्तः
- सभी
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