Book Title: Vipak Sutram
Author(s): Gyanmuni, Hemchandra Maharaj
Publisher: Jain Shastramala Karyalay

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Page 828
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir (७३८) श्री विपाक सूत्र-" [पाराशष्ट नं०३ की १२ को अशुद्ध शुद्ध पृष्ठ पंक्ति अशुद्ध शुद्ध पृष्ठ पंक्ति अशुद्ध शुद्ध पृष्ठ टक्ति सन्बन्धि सम्बन्धि ५२१ ५ | उन उस ५५२ १३ | उपस्थि उपस्थित ६०६ २ के टिप्पण की टिप्पणी ,, ३१ | गुणशील गुणशिलक , ५७ | वधकता वर्धकता ६०८ १६ उतारु उतारू ५२४ २७ | बालश्री बला ५५३ १०] आर्किषत अकर्षित ६१० २४ | जन और जैन ५५४ ३६ ओर ५२६ १४ ले से ले ६११ २० घणदेवा धणदेवो टिप्पण , २२ टिप्पणी ५५५ ६ श्रमन् मुख श्रमण ५५८ २७ प्रमुख समासरणं समोसरणं ,, २३ धमानपुर वर्धमानपुर ५२७ ५ प्रातिदान प्रीतिदान ५५८ २८ | अस्थ और अस्थि महारानी रानी ३२ , ५५६ १६ क के टिप्पण की टिप्पणी ५२६ ४ मगलकारी मंगलकारी ५५६ ३० भा भी ५६१ ५ कुच्छ कुछ वेसमणद वेस्मणदत्ते ५३० ११ पाकिस्तान (पाकिस्तान , २२ नकस्कार नमस्कार वर्ष वर्षों ५३१ ३ सन्तुस्सद्द सन्तुस्सइ लिया लिया) अजूश्री अजूश्री , ३१ , २६ था या बाहें बाहे ५६३ ५८ टिप्पण टिप्पणी , ३४ लम्भिते लाभिते ये से उस के ५३२ २३ कुक्कुटों, कुक्कुटों दिथा दिया ६३२ ३० प्रयोग प्रयोक्ता , ३० का के ५६५ १ | उठ उठा ६३३ २८ कथाङ्ग० कथाङ्ग ५३४ २४ | नाहिं नाहीं , २२ | गछेत् गच्छेत् ६४५ २७ दियडा हियउड्डा सुणन्ति सुणेन्ति ६४६ १४ विवर्ण विवरण ५३५ ५ मान्य उत्तम ५६६ ६४८ ३० टिप्पण टिप्पणी टिप्पण टिप्पणी ५७२ ३५| नांहि नाहीं ६५२ ६ वस्तुत प्रस्तुत नाहि नाहीं ५७३ २४] " ६५३६ Vघाटक शृंगाटक धमें धर्म ५७५ ६हस इस ६५८ २३ प्रदमवदत एवं बदत अगवत - अणुव्रत , १३ | ववज्जि उववज्जि ६६६ २६ जाणिसूलं जोणिसूलं तात्पय तात्पर्य ५७ ७११ लोक . देवलोक ६६८ १३ अजू अजू अनथ अनर्थ .. १७ किचच्छेद कचिच्छेद ६७४ ३४ गई गई है , १८ देखा। कचदौ कचिदौ २|दखा ६७५ ३२ मुवशम मुपशम , २८ करेगा दश करेगा और ६७५ १७ दिशं झूठा .. ४ | झूठ गौतम ६८३ १३ के टिप्पण की टिप्पणी, ३२ | वतन्तः क्रमश आवश्यकनि- अनुयोग क्रमशः - ६८६ २४ उपशान्त उपशान्त-५३७ ३ जिनदास सुवासवकुमार६८७६ के पीड़ा की पीड़ा ५३८ ३] युक्ति द्वार की पयन्त ६८६ . पर्यन्त ५४३ ७ उस .. उस का उक्खेव ऊक्खेवो , ७०...... महव्वलो महब्बलो ५५० १६ टिप्पण टिप्पणी कुमारस्य कुमारस्य। ७० भी गुणशील गुणशिलक ५५१ २ ६०२ १६ । झुण्डों भुण्ड ६०३ २१ अध्ययन अध्ययनों ७ अथ अर्थ ५५१ २४/ अभिसम- अभिसम इसी ७०७ अन्तकृ- अन्तकृशाङ्ग समाप्त सम्प्राप्त , २६ / एणा न्ना ६०४ २३ ५६७ ५ ... ५६६ १४-३० , २८ ५८० र गोतम । वन्तः - सभी For Private And Personal

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