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श्री विपाक सूत्र--
[नवम अध्याय
नाम णगरे होत्था, रिद्ध० । पुढवीवडंसए उज्जाणे । धरणे जक्खे । वेसमणदत्ते राया । सिरीदेवी। पूसणंदी कुमारे जुवराया । तत्थ णं रोहीडए णगरे दत्ते णाम गाहावती परिवसति, अड्ढे० । कएहसिरी भारिया । तस्स णं दत्तस्स धृया कण्हसिरीए अत्तया देवदत्ता नाम दारिया होत्था, अहोण० आव उक्किट्ठसरीरा। तेणं कालेणं तेणं समएणं सामी समोसढे जाव गओ । तेणं कालेणं तेणं समएणं जै? अंतेवासी छट्टकाखमणपारणगंसि तहेव जाव रायपग्गं ओगाढे हत्थी, आसे, पुरिसे पासति । तेति पुरिसाणं मझगयं पामति एग इत्थियं अवोडगवंधणं उक्खित्तकएणनासं जाव सूने भिज्जमाणं पाति पासित्ता इमे अज्झथिए ५ समुप्पन्ने तहेव णिग्गते जाव एवं वयासी-एसा णं भंते ! इत्थिया पुन्वभवे का आसि ? ।
पदार्थ-णवमस्स-नवम अध्ययन का । उक्खेवो-उत्क्षेप-प्रस्तावना की कल्पना पूर्व की भान्ति कर लेनी चाहिये। एवं खलु- इस प्रकार निश्चय ही । जंबू !- हे जम्बू ! । तेणं कालेणं तेणं समएणंउस काल और उस समय में । रोहीडए-रोहीतक । नाम-नाम का । णगरे-नगर । होत्या-या। रिद्ध०-ऋद्ध-भवनादि के आधिक्य से युक्त, स्तिमित -स्व चक्र और परचक्र के उपद्रवों से रहित, एवं समृद्ध-धन धान्यादि से परिपूर्ण, था । पुढवीवडंसए-पृथिव्यवतंसक नामक । उज्जाणं-उद्यान-बाग था । धरणे- धरण नामक । जक्खे- यक्ष, अर्थात् वहां यक्ष का स्थान था। वेसमणदत्त-वैश्रमणदत्त नाम का । राया-राजा था । सिरी देवी-श्रीदेवी नाम की रानी थी। पूसणंदी-पुष्यनन्दी । कुमारे-कुमार । जुवराया- युवराज था । तत्थ णं-उस । रोहीडए-रोहीतक । णगरे-नगर में। दत्ते-दत्त । नाम--नाम का । गाहावती-एक गाथापति - गृहस्थ । परिवसति-रहता था, जो कि। अडढे०- धनी यावत् अपने नगर में विशेष प्रतिष्ठा प्राप्त किये हुए था। कण्हमिरी-उसकी कृष्णश्री । भारिया-भार्या स्त्री थी। तस्स णं- उस | दत्तस्स - दत्त की। धूया- दुहिता-पुत्री । कराहसि. रीए- कृष्णश्री की । अत्तया-त्रात्मजा । देवदत्ता - देवदत्ता । नाम-नाम की। दारिया-दारिकाबालिका । होत्या - थी, जोकि । अहीण-अन्यून एवं निर्दोष पांच इन्द्रियों से युक्त शरीर वाली । जावयावत् । उक्किासरीरा-उत्कृष्ट –उत्तम शरीर वाली थी । तेणं कालेणं तेणं समरण - उस काल और उस समय में । सामी-भगवान् महावीर स्वामी। समोसढे-पधारे। जाव-यावत् , सब । गो-चले गये। तेणं कालेणं तेणं समएगां-उस काल और उस समय । जं?-प्रधान । अन्तेवासी-शिष्य । छक्खमणपारणगंसि-षष्ठतप-बेले के पारणे के लिये । तहेव-तथैव पूर्ववत् -- पहले की भान्ति । जाव - यावत् । रायमगं- राजमार्ग में। प्रोगाढे - प्रधारे, वहां । हत्थी- हाथियों को। आसे-घोड़ों को । पुरिसे-पुरुषों को। पासति-देखते हैं । तेसि-उन । पुरिसाणं - पुरुषों के। मझगयंमध्यगत । एगं-एक । इत्थियं- स्त्री को, जोकि । अवओडगबंधणं ... अवको टक बन्धन से बन्धी हुई है, तथा । उक्खित्तकराणनासं-जिस के कान और नाक दोनों ही कटे हुए हैं। जाव - यावत् । सूले-सूली पर । भिज्जमाणं-भिद्यमान हो रही है । पासति पासित्ता-देखते हैं, देख कर । इमे- यह । अज्झथिए ५-आध्यात्मिक-संकल्प ५ । समुप्पन्ने-उत्पन्न हुआ । तहेव-तथैव – उसी भान्ति । णिगते-नगर से निकले । जाव- यावत् । एवं वयासी-इस प्रकार बोले । भंते !-हे भदन्त !। एसा णं- यह । इत्थिया-स्त्री। पुव्वभवे- पूर्व भव में । का श्रासि ?-कौन थी ।।
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