Book Title: Vipak Sutram
Author(s): Gyanmuni, Hemchandra Maharaj
Publisher: Jain Shastramala Karyalay

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Page 819
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra परिशिष्ट नं २ ] शब्द वसभ सहि वसीकरण वंसीकलंक वह वह वहण वहिर वाउ वारिय वागरेत वारिया वाजिकरण वाडग वायरासी वायव वाल वाल वावीस वास वास वासभवण वाहिय विकि वियाल विधु विज्ज विणास विति विरणाथ विति विदि विदित पृष्ठ १३७ २५.८ १८० १६२ १४९ १७६ ४५१ २२ τε ३३४ २८५ ४३३ ३८७ २८८ ३४६ २२ २०४ ३४६ ३५२ τε ७४ २५८ ३२६ १४६ ५.६ १६२ १४१ १६६ २५. १०४ १६२ पंक्ति | शब्द ६ विद्धी ६ विद्धंस १ विद्धस हिन्दीभापाटीकासहित ५ विनिहाय ४ विप्पजढ़ ६ विप्पाला ३ २१ २१ ८ ५५.७ ६ विसम ३८७ ६ विसर विपुल २० विमरण १३ विम्हय २० वियंग १ वियायि : वियार ४ विद्याल ५ विरहिय - विरेयण २१ विलव ११ विवची ११ विवाग विवागस्य विसत्थ ६ ६ www.kobatirth.org विसल्लकरण विसारय ४ विसेस १६ विसोह विसर ७ विहम्म ७ विहरइ १६ विहा १० विहाण ६ विहारण पृष्ठ ५.३ }દ no १५.६ ५.१४ १४६ ४० १४७ ४६५ १४७ १०४ ३२६ ३२६ ५१३ ६५ ९४६ १६१ १८ १८ ४६६ १६२ ४५१ ४५५ १०४ १०४ ४५.५. १४६ ५.३ १ ४० ८६ २६६ For Private And Personal पंक्ति शब्द ३ वीइवयमारण वीसम्भ ५. वीसम्भवाती म वीसर १ वुट्ठ ६ वुन्त वेज्ज वेदाव ४ ६ ww ११ ४ ६ ८ ह १३ १८ वेत्त वेद वेय Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir वेयण वेयरमा वेसासिय वेसिया वोच्छिण १६ स १६ स ६ सय ४ सइर ५. सक्कार ह सगड ६सगडिय संकला ११ संको डिय ५ संगत ४. संगोव ७ सचक्खु ११ सच्छंद १० सयण १६ संचाय पृष्ठ ४२६ CRE ३५२ ३७६ ૬૫ 80 ६५. ३५.२. ३४६ १३२ ४७ २१२ स ४७ ७७ १६६ १४७ १४६ १ ६५. १६६ १५६ २६३ ४० ३४६ ३५२ १०४ १५६ २५ १६६ १४६ ६५ (७२१) पंक्ति ३ १० ? ソ १० १ १८ ७ १ ५ x x x 15 9 3 ४ ५. ७ પ १२ ६ ६ ५ १४ ७ ४ ६ १० १२ १५. - १२ १४

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