Book Title: Vipak Sutram
Author(s): Gyanmuni, Hemchandra Maharaj
Publisher: Jain Shastramala Karyalay

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Page 816
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir (७२६) श्री विपाकसूत्र परिशिष्ट नं०२ १४६ शब्द परिभाष परियट्र परियाग १२४ ३७६ १२४ पंक्ति शब्द पाडल पाण पाणि पाणिग्गहण पाणिय पामुक्ख ८६ पंक्ति | शब्द |पीय १/पीय | पीह | पुक्खरिणी E_ur Me Lo - परिवस | पुच्छ ६५ पुज १४१ - - पाय पायच्छित पुडपाग पुढवी पुढवीकाय पुराण २५८ ४८५ - पुत्त पायन्दुय पायरास पादपडिया पायपीढ पारणग पारदारिय १६२ - ____IOK ८६ पारेवइ oli w we r & ove २१२ २८८ पाले . परिवुडा परिस्सव परिसा परिसुक्क परिहे पवह पवाह पवहण पवाय पव्यय पसरण पसय पस्स पंसु पपह पहकर पहरण पहाण पहार पाउण पाउभय पाउया पाउस पाग पागार पाड पाड पाडण ३२८ पुत्तता पुप्फ पुरतो पुरापोराण पुरिस पुरिसक्कार २५१ पुरोहि ३१८ पुत्व पुव्वरत्तावरत्तकाल-७७ समय पुण्यागुपुचि पुव्वावरण्ह ५७० पाव पावयण पास पासवरण पासाईय पासाय पासायवडंसग पाहुड NW . 6 MR.MWR x x s ॥ पूयत्त पारंत ४ ६२५ ८६ ६०५ पित्र पिओ ॥ ५०६ १७६ पल्ल पाय १६२ २२ पिड २१२ । पिउस्सियापतिय २०४ पिप्पल ३४६ २१८ २६६ १६ पारिसी पिव पोसहि १४/पोसह For Private And Personal

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