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सप्तम अध्याय ]
हिन्दी भाषा टीका सहित ।
[४२१
मूल - 'गोतमा ! उंबरदते दारए बावन्तरिं वासाई परमाउं पालइत्ता कालमा से कालं विचा इमी से रयणप्पमाए पुढवीए नेरइयच्चाए उववज्जिहिति, संसारो तहेव जाव पुढवीए० । ततो हत्थियाउरे गरे कुक्कुडत्ताए पञ्चायाहिति । जायमेते चैव गोडिल्लवहिते तत्व हथियाउरे गयरे सेट्ठि० बोहिं० सोहम्मे महाविदेहे ० सिज्झिहिति ५ । विखेवा | || सत्तमं श्रयणं समत्तं ॥
रइयत्तार - नारकीरूप से । । संसारो - संसारभ्रमण
पदार्थ - गातमा ! - हे गौतम ! | उम्बरदत्त - उम्बरदत्त । दारए - दारक-बालक | बावतरि - ७२ । वासाई - वर्षा की । परमाउं - परम श्रायु । पालइत्ता - पालकर भोग कर । कालमासे - कालमास में - मृत्यु का समय आ जाने पर । कालं काल । किच्चा - करके । इमीसे-- इस । रयणप्पभाए पुढवीप:- रत्नप्रभा नामक पहली नरक में । उववज्जिहिति- उत्पन्न होगा । तदेव - तथैव - अर्थात् पहले की भांति करेगा । जाब - यावत् । पुढवीर० - पृथिवीकाया में लाखों बार उत्पन्न होगा अर्थात् इसका शेष संसारभ्रमण भी प्रथम अध्ययनगत मृगापुत्र की भान्ति जान लेना चाहिए, यावत् वह पृथिवीकाया में जन्म लेगा । ततो-से निकल कर । हस्थिणाउरे हस्तिनापुर । गरे -नगर में । कुक्कु - उत्तर - कुकुट-कुक्कुट के रूप में । पच्चायाहिति - उत्पन्न होगा। जायतेत चेव - जातमात्र अर्थात् उत्पन्न हुआ हो । गोडिल्लवहिते - गौष्ठिक- दुराचारीमंडल के द्वारा वध को प्राप्त होता हुआ । तत्थेव - वहीं | हत्थिणाउरे पयरे -- हस्तिनापुर नगर में 1 सेट्ठि -- श्रेष्ठकुल में उत्पन्न होगा। बोहि० - बोधिसम्यक्त्व को प्राप्त करेगा, तथा वहां पर मृत्यु को प्राप्त हो कर । सोहम्मे० - सौधर्म नामक प्रथम देवलोक में उत्पन्न होगा, वहां से च्यव कर | महाविदेहे ० - महाविदेहक्षेत्र में जन्मेगा, वहां पर संयम का
राधन कर के । सिज्झिहिति ५ - सिद्ध पद को को जानेगा, समस्त कमी से रहित हो जायेगा, का अन्त कर डालेगा । णिक्खेवो- निक्षेप सत्तमं - - सप्तम । श्रयणं - अध्ययन । समत - सम्पूर्ण हुआ ।
प्राप्त करेगा, केवलज्ञान द्वारा समस्त पदार्थों सकल कर्मजन्य सन्ताप से विमुक होगा, सब दुःखों उपसंहार की कल्पना पूर्ववत् कर लेनी चाहिये ।
मूलार्थ - भगवान् ने कहा कि हे गौतम! उम्रदत्त बालक ७२ वर्ष की परम आयु पाल कर कालमास में काल कर के इसी रत्नप्रभा नामक पृथिवी - नरक में नारकी रूप से उत्पन्न होगा। वह यत् संसार करता हुआ यावत् पृथिवोकाया में लाखों बार उत्पन्न होगा। वहां से निकल कर हस्तिनापुर नगर में कुक्कुड के रूप में उत्पन्न होगा | वां जातमात्र ही गोष्ठिकों के द्वारा व की प्राप्त होता हुआ वहीं हस्तिनापुर में एक श्रेष्ठिकुत में उत्पन्न होगा, वहां सम्यक्त्व को प्राप्त करेगा, वहां से मर कर सौधम नामक प्रथम देवलोक में उत्पन्न होगा, वहां से यब कर महाविदेह क्षेत्र में जन्म लेगा, वहां अगर धर्म को प्राप्त कर यथाविधि संयम की आराधना से कर्मों का (१) छाया - गौतम ! उम्बरदत्ती दारको द्वासप्ततिं वर्षाणि परमायुः पालयित्वा कालमासे कालं कृत्वा अस्यां रत्नप्रभायां पृथिव्यां नैरयिकतयोपपत्स्यते । संसारस्तथैव यावत् पृथिव्याम् । ततो हस्तिनापुरे नगरे कुकुटतया प्रत्यायास्यति । जातमात्र एव गोष्ठिकर धितस्तत्रैव हस्तिनापुरे नगरे श्रेष्ठ० बोथिं० सौधर्मे० महाविदेहे ० सेत्स्यति ५ । निक्षेपः ।
॥ सप्तममध्ययनं समाप्तम् ॥
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