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श्री वपाक सूत्र
[चतुर्थ अध्याय
मूछित-उस के ध्यान में पगला बना हुआ, गृद्ध - उसको इच्छा रखने वाला, प्रथित-उसके स्नेहजाल से जकड़ा हुआ और अध्युपपन्न - उसी को लग्न में अत्यन्त व्यासक्त रहने वाला वह शकट कुमार अपनी बहिन सुदर्शना के साथ उदार-प्रधान मनुष्यसम्बन्धी कामभोगों का सेवन करता हुआ जीवन व्यतीत करेगा ।'
तदनन्तर किसी समय वह शकट कुमार स्वयमेव कूटग्राहित्व को प्राप्त कर विहरण करेगा, तब कूटग्राह ( कपट से जीवों को वश करने वाला ) बना हुआ वह शकट महा अधर्मो यावत दुष्प्रत्यानन्द होगा , और इन कर्मा के करने वाला, इन में प्रधानता लिए हुए तथा इन के विज्ञान वाला एवं इन्हीं पापकर्मों को अपना सर्वोत्तम आचरण बनाए हुए अधर्मप्रधान कर्मों से वह बहुत से पाप कर्मों को उपार्जित कर मृत्यु- समय में काल करके रत्न-प्रभा नामक पहली पृथिवी-नरक में नारकी रूप से उत्पन्न होगा ।
उस का संसारभ्रमण पूर्ववत् ही जानलेना यावत् पृथिवीकाया में लाखों बार उत्पन्न होगा तदनन्तर वहां से निकल कर वह सोधा वाराणसी नगरी में मत्स्य के रूप में जन्म लेगा. वहां पर मस्य-घातकों के द्वारा वध को प्राप्त होता हुआ वह फिर उसी वाराणसी नगरी में एक श्रेष्ठिकुल में पुत्ररूप से उत्पन्न होगा । वहां वह सम्यक्त्व को तथा अनगारधर्म को प्राप्त करके सौधर्म नामक प्रथम देवलोक में देवता बनेगा. वहां से च्यव कर वह महाविदेह क्षेत्र में जन्म लेगा, वहां पर साधुवृत्ति का सम्यक्तया पालन करके वह सिद्धि - कृतकृत्यता प्राप्त करेगा, केवल ज्ञान द्वारा समस्त पदार्थों को जानेगा, सम्पूर्ण कर्मों से रहित हो जावेगा और सर्व दःखों का अन्त करेगा । निक्षेप --उपसंहार की कल्पना पूर्ववत् कर लेनी चाहिये ।
॥ चतुर्थ अध्ययन समाप्त ॥ टीका-शकटकुमार के भावी जीवन के विषय में श्री गौतम स्वामी के द्वारा प्रार्थना के रूप में व्यक्त की गई जिज्ञासा की पूर्ति के लिये परम दयालु श्रमण भगवान् महावीर ने जो कुछ फ़रमाया वह निम्नोक्त है
हे गौतम ! शकट कुमार की पूरी आयु ५७ वर्ष की है अर्थात् उसने पूर्व भव में जितना आयुष्य कर्म बान्ध रखा था, उसके पूरे हो जाने पर वह आज ही दिन के तीसरे भाग में अर्थात् अपराह्न समय में कालधर्म को प्राप्त करेगा। पूर्वोपार्जित पापकों के प्रभाव से उस की मृत्यु का साधन भी बड़ा विकट होगा । जिस समय राजकीय पुरुष प्रधान मंत्री सुषेण की आज्ञा से निदयता - पर्वक ताड़ित करते हुए शकट कुमार को वधस्थल पर ले जाकर खड़ा करेंगे, उस समय प्रधान मंत्री के आदेश से एक लोहमयी स्त्रीप्रतिमा लाई जावेगी और आग में तपाकर उसे लाल कर दिया जावेगा, उस लोहमयी अग्नितुल्य संतप्त और प्रदीप्त प्रतिमा के साथ शकट कुमार को बलात् चिपटाया जावेगा । उसके साथ प्रालिंगित कराये जाने पर शकट कुमार 'काल को प्राप्त होगा ।
(१) प्रस्तुत कथा सन्दर्भ में जो यह लिखा है कि शकट कुमार को वध्यस्थल पर ले जाकर अपराह्न काल में लोहमयी तप्त स्त्रीप्रतिमा से बलात् आलिङ्गित कराया जायेगा और वहां उसकी मृत्यु हो जायेगी, इस पर यह आशंका होती है कि जब साहजनी नगरी के राजमार्ग पर शकट कुमार के साथ बड़ा निर्दय एवं क्रूर व्यवहार किया गया था, उसके कान और नाक काट लिये गये थे, उसके शरीर में से मांसखण्ड निकाल का उसे खिलाए जा रहे थे, और चाबुकों के भीषण प्रहारों से उसे मारा भी जा रहा था, तब ऐसी स्थिति में उसके प्राण कैसे बच पाए ? अथात् मानव प्राणी
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