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तीसरा अध्याय ]
हिन्दी भाषा टीका सहित ।
[२०५
अश्वों-घोड़ो को देखते हैं और । सन्न इव द्वकवर -सैनिकों की भान्ति शस्त्रादि से सुसज्जित एवं कवच पहने हुए । पुरिसे - पुरुषों को देखते हैं । तेति - उन । पुरिसाणं -- पुरुषों के । मझगतं-मध्य में । अव प्रोडय-अवकोटकबन्धन -जिस बन्धन में ग्रीवा को पृष्ठ भाग में ले जाकर हाथों के साथ बांधा जाए उस बन्धन से युक्त । जाव - यावत् । उग्घोसेजमाणं - उद्घोषित । एगं-एक । पुरिसं-पुरुष को । पासति-देखते हैं । तते णं-तदनन्तर । तं परिसंउस पुरुष को । रायपुरिसा - राजपुरुष-राजकर्मचारी । पढमंसि-प्रथम । चच्चरंसि-चन्वर चार मार्गों से अधिक मार्ग जहां सम्मिलित हों, वहां पर । निसियाति २ त्ता-बैठा लेते हैं बैठा कर । अट्ठ-आठ । चुल्लपिउए-पिता के छोटे भाई -चाचों को । अग्गओ - अागे से । घातिमारते हैं । २ त्ता-मार कर । कसप्पहारोहिं -कशा (चाबुक) के प्रहारों से । तालेमाणा - ताडित करते हुए। कलुणं-करुणा के योग्य उस पुरुष के । कागिणोमं साई-शरीर से उत्कृत्त -निकाले हुए मांस के छोटे छोटे टुकड़ों को । खावेंति-खिलाते हैं । खावित्ता-खिला कर । रुहिरपाणं च-रुधिरपान । पाए ति-कराते हैं अर्थात् उसे रक्त - खून पिलाते हैं । तदाणंतरं च-तदनन्तर । णंवाक्यालंकारार्थक है । दोच्चंसि-द्वितीय । चच्चरंसि-चत्वर पर ले जाते हैं, वहां पर । अट्ठ
आठ । चुल्लमाउयाश्रो-लघुमाताओं-चाचे की पत्नियों-चाचित्रों को । अग्गो -आगे से । घाति-मारते हैं । एवं- इसी प्रकार । तच्चे-तीसरे । चच्चरे - चत्वर पर । अट्ठ-आठ । महापिउए -महापिता-पिता के ज्येष्ठ भ्राताओं-तायों को । चउत्थे -चतुर्थ चत्वर पर । अट्ठ-पाठ । महामाउयाश्रो-महामाता -पिता के ज्येष्ठ भाई की धर्मपत्नियों-ताइयों को । पंचमे - पांचवें चत्वर पर । पुत्ते-पुत्रों की । छठे-छठे चत्वर पर । सुरहानो-स्नुषाओं पुत्रवधुओं को । सत्तमे - सप्तम चत्वर पर । जामाउया-जामाताओं को। अट्टमे-अष्टम चत्वर पर । धूयाओ लड़कियों को । नवमे - नवम चत्वर पर । णन या-नप्ताओं-पौत्रों अर्थात् पोतों और दौहित्रों अर्थात् दोहताओंको । दसमे-दशमें चत्वर पर । णत्त ईओ-लड़की की पुत्रियों को और लड़के की लड़कियों को । एक्कारसमे-एकादशवें चत्वर पर । णत्त यावई - नप्तृकापति अर्थात् पौत्रियों -पोतियों- और दौहित्रियों - दोहतियों के पतियों को । वारसमे - बारहवें चत्वर पर । णत्तु इणोप्रो - नप्तृभार्या--पोतों और दोहताओं की स्त्रियों को । तेरस-तेरहवें चत्वर पर | पिउस्सियपतिया-पितृष्वसृपति - पिता की बहिनों के पतियों को अर्थात् पिता के बहनोइयों को । चोद्दसमे-चौदहवें चत्वर पर । पिउस्सियाओ- पितृष्वसा - पिता की बहिनों को । पराणरसमे - पन्द्रहवें चत्वर पर | माउसियापतिया-मातृष्वसुपति-माता की बहिनों के पतियों को । सोलसमे-सोलहवें चत्वर पर । माउस्सियाओ-मातृष्वसा - माता की बहिनों को सित्तरसमे-सतरहवें चत्वर पर । मामियानो-मातुलानी-मामियों को। अहारसने-अठारवें चत्वर पर । अवसेसं -अवशेष - बाकी बचे। मित्त-मित्र । नाइ - ज्ञातिजन - बिरादरी के लोग | नियम-निजक-माता आदि । सयप-स्वजन -मामा के पुत्र आदिक । सम्बन्धि-सम्बन्धी - श्वशुर एवं साला आदि । परियणं - परिजन-दास दासी श्रादि को । अग्गो - उस के अागे । घातेति २त्ता-मारते हैं. मार कर । कसप्यहारोहिं-कशा के प्रहारों से । तालेमाणे - ताडित करते हुए तथा ।कलुणं-दयनीय-दया के योग्य उस पुरुष को । कागिणीमसाई-उस की देह से काटे हुए मांस-खण्डा को । खावेंति-खिलाते हैं तथा । रुहिरपाणं च-रुधिर का पान । पाए ति- कराते हैं ।
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