________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir
११२]
श्री विपाक सूत्र -
[दूसरा अध्याय
दिखाई देता है ? अलग अलग प्रकार का क्यों होता है १ मध्याह्न में वह क्यों नहीं दीखता ? बिजली क्या है ? क्यं प्रकट होती है ? इत्यादि बातों का ज्ञान इस कला द्वारा किया जाता है।
(३८) विलेपन-कला-विलेपन क्या है ? यह देश, काल और पात्र की प्रकृति को पहचान कर शरीर को ताजा नीरोग सुगन्धित और यथोचित गर्म या ठण्डा रखने के लिये कैसे बनाया जाता है ? किन २ पदाथा से बनता है ? इस का उपयोग कब २ करना चाहिए ? इत्यादि बातों का ज्ञान इस कला द्वारा होता है।
....... (३९) मर्दन या घर्षण-कला - धर्मार्थकाममोक्षाणां, शरीरं मूलसाधनम् -, के नियमानुसार यदि शरीर ही ठीक नहीं तो सारा मानव जीवन ही कि किरा है। शरीर का घर्षण करने से त्वचा के सब छिद्र कैसे खोले जा सकते हैं ? मर्दन करने की शास्त्रीय विधिये कौन २ सी है ? तैल आदि का मदन मास में अधिक से अधिक कितनी बार करना चाहिये १ हाथ की रगड़ से शरीर में विद्युत का प्रवाह कैसे होने लगता है १ तैलादि का मर्दन अपने हाथ से करने में औरों की अपेक्षा क्या विशेषता है ? इत्यादि बातों का ज्ञान इस कला द्वारा हो जाता है।
(४०) ऊर्ध्वगमन-कला- वाष्प (भाफ) कैसे पैदा किया जाता है । उस की शक्ति का असर क्या किसी खास तर्फ ही पड़ सकता है ? या दाहिने बाएं ऊपर नीचे जिधर भी चाहें उस से काम ले सकते हैं ? उड़नखटोले और अनेकों प्रकार के अन्य वायुयानों का रचना कैसे होती है । इत्यादि बातों का ज्ञान इस कला के द्वारा होता है। ... (४१) सुवर्ण सिद्धि-कला- इसा कला के द्वारा खान से सोना निकालने के अतिरिक्त अन्य अमुक अमुक पदार्थों के साथ २ अमुक २ जड़ी बूटियों के रस, अमुक २ मात्रा में मिला कर अमुक परिमाण की गरमी के द्वारा उस घोल को फूकने से सोना बन ने की विधि का ज्ञान प्राप्त होता है ।
(४२) रूपसिद्धि-कला--अपने रूप को कैसे निखारना चाहिए ? इस के लिये शरीर के भीतर किन २ पदार्थों को पहुँचाना होता है ? और बाहिर किन २ विलेपनों का व्यवहार करना चाहिये ? ताकि चर्म में अामरण झुर्रियां न पड़े, शरीर के डील डौल को सुसंगठित बनाकर उसे सदा के लिये वैसा ही गठीला और चुस्त बनाए रखने के लिये प्रति दिन किस प्रकार के व्यायाम करने चाहिये । इत्यादि बातों का ज्ञान इस कला के द्वारा हो जाता है।
(४३) घाटबन्धन-कला-घाट, पुल नदी, नालों के बांध आदि कैसे बनाए जाते हैं ? कहां बान्धना इनका आवश्यक और टिकाऊ तथा कम खर्चीला होता है ? सड़कें, नालियां, मोरियां कहां और कैसे बनाई जानी चाहिये। तरह २ के मकानों का निर्माण कैसे किया जात बातों का ज्ञान इस कला के द्वारा किया जाता है।
(४४) पत्रछेदन-कला- किसी भी वृक्ष के कितने ही ऊचे या नीचे या मध्य भाग वाले किसी भी निर्धारित पत्र को उस के निश्चित स्थान पर किसी भी निशाने द्वारा किसी निर्धारित समय के केवल एक ही बार में वेधने का काम इस कला के द्वारा सिखाया जाता है।
(४५) मर्मभेदन कला- इस कला के द्वारा शरीर के किसी खास और निश्चित भाग को किसी आयुध द्वारा छेदन करने का काम सिखाया जाता है।
(४६) लोकाचार-कला-लोकाचार-व्यवहार से अपना तथा संसार का उपकार कैसे होता है ? लोकाचार से भ्रष्ट होने पर मनुष्य का सारा ज्ञान व्यर्थ कैसे हो जाता है ? लोक-प्राचार को धर्म की नड़ कहते हैं सो कैसे ? आचार से दीर्घायु की प्राप्ति कैस होती है ? सुखी, दु:खी, पुण्यात्मा और
.
For Private And Personal