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विषयानुक्रमणिका हिन्दीभाषाटीकासहित
(६५) विषय
पृष्ठ | विषय का कामध्वजा के प्रति आसक्त होना । | का विजयसेन चोरसेनापति की स्त्री स्कन्दउज्झितककुमार का अवसर पाकर कामध्वजा १७३ / श्री के गर्भ में आना और इसकी माता को के साथ विषयोपभोग करना।
एक दोहद का उत्पन्न होना। राजा द्वारा कामभोग का सेवन करते हुए १७४ स्कन्दश्री के दोहद का उत्पन्न होना और २२३ उज्झितक कुमार को देखना और अत्यन्त एक बालक को जन्म देना । क्रुद्ध हो कर उसे मरवा देना।।
बालक का अभग्नसेन ऐसा नाम रखा जाना । २२८ गौतम स्वामी का उज्झितक कुमार के अग्रिम १७८ अभग्नसेन का आठ लड़कियों के साथ २३२ भवों के सम्बन्ध में पूछनो तथा भगवान विवाह का होना । महावीर का उत्तर देना।
विजयसेन चोरसेनापति की मृत्यु और उस २३४ अथ तृतीय अध्याय
के स्थान पर अभग्नसेन की नियुक्ति। तृतीय अध्याय की उत्थानिका और १६१ |
अभग्नसेन द्वारा बहुत से ग्राम नगरादि का २३७ शालाटवी नामक चोरपल्ली तथा उस
लुटा जाना तथा पुरिमताल नगरनिवासियों में रहने वाले चोरसेनापति विजय का
का अभग्नसेनकृत उपद्रवों को शान्त करने वणन ।
के लिए महाबल राजा से विनति करने के विजय चोरसेनापति की दुष्प्रवृत्तियों का १६८ | लिए उपस्थित होना । विवेचन तथा उस की स्कन्धश्री नामक नागरिकों का राजा से विज्ञप्ति करना। २४० भार्या के अभग्नसेन नामक बालक का विज्ञप्ति सुन कर महाबल राजा का अभग्न- २४२ निरूपण ।
सेन के प्रति क्रुद्ध होना और उसे जीते जी पुरिमताल नगर के मध्य में श्री गौतम २०३ पकड़ लाने के लिए दण्डनायक को आदेश
देना। स्वामी का एक वध्य पुरुष को देखना जिस
| दण्डनायक का चोरपल्ली की ओर प्रस्थान २४५ के सामने उस के सम्बन्धियों पर अत्यधिक
करना। मारपीट की जा रही थी।
५०० चोरों सहित अभग्नसेन का सन्नद्ध २४६ उस पुरुष की दयनीय अवस्था का देख कर २०६
हो कर दंडनायक की प्रतीक्षा करना ।। गौतम स्वामी को तत्कृत कर्मों के सम्बन्ध में
दोनों ओर से युद्ध का होना, दंडनायक का २५१ विचार उत्पन्न होना तथा उस के पूर्वभव
हारना और महाबल राजा का साम दाम के सम्बन्ध में भगवान महावीर से पूछना ।
आदि उपायों को काम में लाना । भगवान का पूर्वभव वर्णन करते हुए यह २११
महाबल राजा द्वारा एक महती कुटाकार- २५७ फरमाना कि इस जीव ने पूर्वभव में निर्णय
शाला का बनवाना, दशरात्रि नामक उत्सव नामक अण्डवाणिज के रूप में नाना प्रकार
का मनाया जाना और उस में सम्मिलित को अण्डों के जघन्य व्यापार से पापपुज होने के लिए चौरसेनापति अभग्नसेन को को एकत्रित किया था, परिणामस्वरूप यह आमन्त्रित करना । तीसरी नरक में उत्पन्न हुआ था।
| आमंत्रित अभग्नसेन का अपने सम्बन्धियों २६३ नरक से निकल कर अण्डवाणिज के जीव २१७ | और साथियों समेत पुरिमताल नगर में आना और
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