________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir
श्रीविपाकसूत्र हिन्दीभाषाटीकासहित
* विषयानुक्रमणिका *
प्रथम श्र तस्कन्धीय प्रथम अध्याय पृष्ठ | विषय चम्पानगरी के पूर्णभद्र नामक उद्यान में आर्य १ । मुखवस्त्रिकासम्बन्धी विचार।
४३ सुधर्मा स्वामी जी का पधारना, तथा आर्य मृगापुत्र की भोजनकालीन दुःस्थिति को देख ४६ जम्बू स्वामी जी का उन के चरणों में कुछ कर श्री गौतम स्वामी जी के हृदय में तत्कृत निवेदन करने के लिए उपस्थित होना । दुष्कर्मों के विषय में विचार उत्पन्न होना । काल और समय शब्द का अर्थभेद । ५ | श्री गौतम स्वामी जी का मृगापुत्र के पूर्वभव ५१ चौदह पूर्वो के नाम और उन का प्रतिपाद्य विषय।७ | के विषय में भगवान महावीर से पूछना । पांच ज्ञानों के नाम और उन का संक्षिप्त अर्थ । ६ | भगवान द्वारा पूर्वभव वर्णन करते हुए एकादि ५२ जासड्ढे जायसंसए आदि पदों का विस्तृत १२ | राष्ट्रकूट (मृगापुत्र का जीव) की अनैतिकता विवेचन ।
और अन्यायपूर्ण शासकता का प्रतिपादन दुःखविपाक के दश अध्ययनों का नामनिर्देश । १८ करना । मृगापुत्र और उभितककुमार आदि का २१ एकादि राष्ट्रकूट के शरीर में उत्पन्न १६ महा- ५७ सामान्य परिचय ।
रोगों का वर्णन। मृगापुत्र की रोमांचकारी शारीरिक दशा का २२ एकादि राष्ट्रकूट द्वारा अपने रोगों की चिकित्सा ६४ वर्णन ।
| के लिए नगरों में उद्घोषणा कराना और रोगों मृगापुत्र नामक नगर के राजमार्ग में एक २५ | की शांति के लिए किए गए वैद्यों के प्रयत्नों दयनीय अन्ध व्यक्ति का लोगों से वहां हो रहे । का निष्फल रहना। कोलाहल का कारण पूछना।
एकादि राष्ट्रकूट का मृत्यु को प्राप्त हो कर ७४ अन्धव्यक्ति को देख कर भगवान गौतम का २६ | मृगाग्राम नगर में मृगादेवी की कुक्षि में तत्सदृश किसी अन्य जन्मान्ध व्यक्ति के सम्बन्ध में भगवान महावीर से प्रश्न करना। एकादि राष्ट्रकूट के गर्भ में आने पर मृगादेवी ७६ मृगापुत्र का शारीरिक वर्णन और श्री गौतम ३२ | के शरीर में उग्र वेदना का होना और उस स्वामी जी का उस को देखने के लिए जाना। का अपने पतिदेव को अप्रिय लगना । मृगादेवी द्वारा भूमिगृह में अवस्थित मृगापुत्र ४० | मृगादेवी का गर्भ को अनिष्ट समझ कर उसे ७७ का श्री गौतम स्वामी जी को दिखलाना। । गिराने के सिए अनेकविध प्रयत्न करना ।
| उत्पन्न होना।
For Private And Personal