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छबंधमाणे- आउय-मोहणिज्जवज्जाओ छ कम्मपगडीओ
बंधइ,
प. नियंडे णं भंते! कइ कम्मपगडीओ बंधइ ?
उ. गोयमा ! एवं वेयणिज्जं कम्पं बंधा । प. सिणाए णं भंते! कइ कम्मपगडीओ बंध?
उ. गोयमा ! एगविह बंधए वा, अबंधए वा ।
एवं बंधमाणे एवं वेयणिज्जं कम्मं बंधइ ।
२२. कम्मपगडिवेद-दारं
प. पुलाए णं भंते! कइ कम्मपगडीओ वेदेइ ? उ. गोयमा ! नियमं अट्ठ कम्मपगडीओ वेदे | एवं जाव कसायकुसीले ।
प. नियंठे णं भंते! कइ कम्मपगडीओ वेदेइ ?
उ. गोयमा ! मोहणिज्जवज्जाओ सत्त कम्मपगडीओ वेदे ।
प. सिणाए णं भंते! कइ कम्मपगडीओ वेदेइ ?
उ. गोयमा ! वेयणिज्ज आउय - नाम- गोयाओ चत्तारि कम्मपगडीओ वेदे |
२३. कम्मोदीरण- दारं
प. पुलाए णं भंते! कइ कम्मपगडीओ उदीरेड ? उ. गोयमा उदीरेड,
प. बउसे णं भंते! कइ कम्मपगडीओ उदीरेड ?
आउय वेयणिज्जबजाओ छ कम्मपगडीओ
"
उ. गोयमा ! सत्तविह उदीरए वा अट्ठविह उदीरए वा, छब्बिह उदीरए था।
सत्त उदीरेमाणे- आउयवज्जाओ सत्त कम्मपगडीओ उदीरेह
अट्ठ उदीरेमाणे- पडिपुण्णाओ अट्ठ कम्मपगडीओ उदीरेड |
छ उदीरेमाणे- आउय वेयणिज्जवज्जाओ छ कम्म पगडीओ उदीरेइ
पडि सेवणाकुसीले एवं चैव ।
प. कसायकुसीले णं भंते! कइ कम्मपगडीओ उदीरेड ?
"
उ. गोयमा ! सत्तविह उदीरए वा अट्ठविह उदीरए था, छव्विह उदीरए वा, पंचविह उदीरए वा ।
सत्त उदीरेमाणे आउययन्जाओ सत्त कम्मपगडीओ उदीरेड |
अट्ठ उदीरेमाणे- पडिपुण्णाओ अट्ठकम्मपगडीओ उदीरेड़ |
छ उदीरेमाणे- आउय-वेयणिज्जवज्जाओ छ कम्म पगडीओ उदीरेइ ।
पंच उदीरेमाणे आउय वेवणिय मोहणिज्जवन्जाओ पंच कम्मपगडीओ उदीरेह
द्रव्यानुयोग - (२)
छह बांधता हुआ आयु और मोहनीय को छोड़कर छह कर्मप्रकृतियां बांधता है।
प्र.
भन्ते ! निर्ग्रन्थ कितनी कर्मप्रकृतियां बांधता है ? उ. गौतम ! एक (साता) वेदनीय कर्म बांधता है।
प्र. भन्ते स्नातक कितनी कर्मप्रकृतियां बांधता है?
उ.
गौतम ! एक बांधता है या नहीं बांधता है।
एक बांधता हुआ (साता) वेदनीय कर्म बांधता है। २२. कर्म प्रकृति वेदन-द्वार
प्र. भन्ते ! पुलाक कितनी कर्मप्रकृतियों का वेदन करता है ?
उ. गौतम! नियमतः आठ ही कर्मप्रकृतियों का वेदन करता है। इसी प्रकार कषाय कुशील पर्यन्त जानना चाहिए।
प्र. भन्ते निर्ग्रन्थ कितनी कर्मप्रकृतियों का वेदन करता है?
उ. गौतम ! मोहनीय को छोड़कर सात कर्मप्रकृतियों का वेदन करता है।
प्र.
भन्ते स्नातक कितनी कर्मप्रकृतियों का वेदन करता है? उ. गौतम ! १. वेदनीय, २. आयु, ३. नाम, ४. गोत्र इन चार कर्मप्रकृतियों का वेदन करता है।
२३. कर्म उदीरणा-द्वार
प्र.
भन्ते ! पुलाक कितनी कर्मप्रकृतियों की उदीरणा करता है? उ. गौतम ! आयु और वेदनीय को छोड़कर छह कर्मप्रकृतियों की उदीरणा करता है।
प्र.
भन्ते वकुश कितनी कर्मप्रकृतियों की उदीरणा करता है?
उ. गौतम ! सात की उदीरणा करता है, आठ की उदीरणा करता
है या छह की उदीरणा करता है।
सात की उदीरणा करता हुआ आयु को छोड़कर सात कर्मप्रकृतियों की उदीरणा करता है।
आठ की उदीरणा करता हुआ प्रतिपूर्ण आठों कर्मप्रकृतियों की उदीरणा करता है।
छह की उदीरणा करता हुआ आयु और वेदनीय को छोड़कर छह कर्मप्रकृतियों की उदीरणा करता है। प्रतिसेवनाकुशील का कथन भी इसी प्रकार है।
प्र. भन्ते ! कषायकुशील कितनी कर्मप्रकृतियों की उदीरणा करता है ?
उ. गौतम ! सात की उदीरणा करता है, आठ की उदीरणा करता है, छह की उदीरणा करता है या पांच की उदीरणा करता है। सात की उदीरणा करता हुआ आयु को छोड़कर सात कर्मप्रकृतियों की उदीरणा करता है।
आठ की उदीरणा करता हुआ - प्रतिपूर्ण आठों कर्म प्रकृतियों की उदीरणा करता है।
छः की उदीरणा करता हुआ - १. आयु और २. वेदनीय कर्म को छोड़कर शेष छः कर्मप्रकृतियों की उदीरणा करता है।
पांच की उदीरणा करता हुआ - १. आयु, २. वेदनीय और ३. मोहनीय कर्म को छोड़कर शेष पांच कर्मप्रकृतियों की उदीरणा करता है।