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आगम के अनमोल रत्न
२५ मधुरादिक छह रस बनाने की कला, २६ अलंकार बनाने की कला, २७ स्त्री को शिक्षा देने की कला, २८ स्त्रीलक्षण, २९ पुरुषलक्षण, ३० अश्वलक्षण, ३१ हस्तिलक्षण, ३२ गोलक्षण, ३३ कुक्कुटलक्षण, ३४ मेढ़े के लक्षण, ३५ चक्रलक्षण, ३६ छत्रलक्षण, ३७ दण्डलक्षण, ३८ तलवारलक्षण, ३९ मणिलक्षण, ४० काकिणी (चक्रवर्ती का रत्न विशेष) का लक्षण जानना, ४१ चर्मलक्षण, ४२ चन्द्रलक्षण, -१३ सूर्य की गति आदि जानना, ४४ राहुकी गति आदि जानना, १५ ग्रहों की गति जानना, ४६ सौभाग्य का ज्ञान, ४७ दुर्भाग्य का ज्ञान, ४८ रोहिनी प्रज्ञप्ति विद्या सम्बन्धी ज्ञान, १९ मंत्रसाधना ज्ञान, ५० गुप्त वस्तु का ज्ञान ५१ हर वस्तु की हकीकत जानना, ५३ सेना को युद्ध में उतारने की कला, ५४ व्यूह रचने की कला, ५५ प्रतिव्यूह रचने की कला, ५६ सेना के पड़ाव का प्रमाण जानना, ५७ नगर निर्माण, ५८ वस्तु का प्रमाण जानना, ५९ सेना के पड़ाव आदि का ज्ञान, ६० हर बस्तु के स्थापन कराने का ज्ञान, ६१ नगर बसाने का ज्ञान, ६२ थोड़े को बहुत करने की कला, ६३ तलवार की मूठ बनाने का ज्ञान, ६४ भश्वशिक्षा, ६५ हस्तिशिक्षा, ६६ धनुर्वेद, ६७ हिरण्यपाक, सुवगंपाक, मणिपाक, धातुपाक बनाने की कला, ६८ बाहुयुद्ध दण्डयुद्ध मुष्टियुद्ध, यष्टियुद्ध, युद्धनियुद्ध, युद्धातियुद्ध, ६९ सूत बनाने की कला, नली बनाने की कला, गेंद खेलने की कला, वस्तु का स्वभाव जानने की कला, चमड़ा बनाने की कला, ७० पत्रछेदन, वृक्षांग छेदन की कला, ७१ संजीवन निर्जीवन, ७२ पक्षियों के शब्द आदि से शुभाशुभ शकुन जानने की कला ।
भरत ने अपने अन्य भाइयों को एवं प्रजाजनों को ७२ कलाएँ सिखलाई । बाहुबली को प्रभु ने हाथी, घोड़े और स्त्री, पुरुषों के अनेक प्रकार के मेदवाले लक्षण बतलाए । ब्राह्मी को दाहिने हाथ से १४ प्रकार की लिपियां सिखलाई, वे १८ प्रकार की लिपियां ये हैं१ ब्राह्मी, २ यवनानी, ३ दोसापुरिया, १ खरोष्ठी, ५ पुक्खरसरिया,