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तीर्थङ्कर चरित्र
गत उत्सर्पिणी के चौवीस तीर्थङ्कर गत उत्सर्पिणी काल में जम्बूद्वीप के भरत क्षेत्र मे चौवीस तीर्थकर हुए थे । उनके नाम ये हैं
(१) केवलज्ञानी (२) निर्वाणी (३) सागरजिन (४) महायश (५) विमल (६) नाथसुतेज (सर्वानुभूति) (6) श्रीधर (८) दत्त (९) दामोदर (१०) सुतेज (११) स्वामिजिन (१२) शिवाशी (मुनिसुव्रत) (१३) सुमति (११) शिवगति (१५) अबाध (अस्ताघ) (१६) नाथनेमीश्वर (१७) अनिल (१८) यशोधर (१९) जिनकृतार्थ (२०) धर्मीश्वर (जिनेश्वर) (२१) शुद्धमति (२२) शिवकरजिन (२३) स्यन्दन (२५) सम्प्रतिजिन । ऐरावत क्षेत्र में वर्तमान अवसर्पिणी के चौवीस तीर्थङ्कर
वर्तमान अवसर्पिणी में ऐरावत क्षेत्र में चौबीस तीर्थकर हुए हैं। उनके नाम ये हैं
(१) चन्द्रानन (२) सुचन्द्र (३) अग्निसेन (१) नंदिसेन (भात्मसेन) (५) ऋषिदिन (६) व्रतधारी (व्यवहारो) (७) श्यामचन्द्र (सोमचन्द्र) (4) युक्तिसेन (दीर्घबाहु, दीर्घसेन) (९) अजितसेन (शतायु) (१०) शिवसेन (सत्यसेन, सत्यकि) (११) देवशर्मा (देवसेन) (१२) निक्षिप्तशास्त्र (श्रेयांस) (१३) असंज्वल (स्वयंजल) (१४) अनन्तक (संहसेन) (१५) उपशान्त. (१६) गुप्तसेन (गुप्तिसेन) (१७) अतिपार्श्व (१८) सुपार्श्व (१९) मरुदेव (२०) धर (२१) श्यामकोष्ठ (२२) अग्निसेन (महासेन) २३ भग्नि-. 'पुन २४ वारिसेन ।
वर्तमान अवसर्पिणि के चौबीस तीर्थङ्कर . वर्तमान अवसर्पिणी काल में भरतक्षेत्र में चौबीस तीर्थङ्कर हुए हैं। उनके नाम ये हैं
श्री ऋषभदेव स्वामी महावीर स्वामी : (देखिये पृ, १-)