Book Title: Agam ke Anmol Ratna
Author(s): Hastimal Maharaj
Publisher: Lakshmi Pustak Bhandar Ahmedabad

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Page 773
________________ पू० श्रीमानमलजी म० लड़की जो भी जन्म लेता है वह अपना अपना पुण्य भी साथ में लेके आता है। राजमाता की गोद में भाई हुई सन्तान को मृत्यु की गोद में सुला देना महापाप है। अव आप प्रतिज्ञा करिये कि जो भी बालक जन्म लेगा उस सन्तान को वह चाहे लड़की ही क्यों न हो-नहीं मारूंगा। ठाकुर साहब खड़े हो गये और उन्होंने प्रतिज्ञा ग्रहण करली। स्वामीजी ने वहां से विहार कर दिया। ठकुरानी गर्भवती थी । कुछ महिने के बाद राजमाता ने पुत्री को जन्म दिया । जन्म के बाद राजमहल की किसी एकान्त जगह जब जरारु (नाडा) गाढने के हेतु गड्ढा खोदा गया तो उसमें सोने की मुहरों से भरी चरु मिल गई । यह बात ठाकुर के पास पहेची । ठाकुर वहाँ आये और सुवर्ण से भरी चरू को देखकर बड़े आश्चर्य चकित हो गये । स्वामीजी की वात पर विश्वास होगया कि जो आत्मा जन्म लेता है साथ में अवश्य पुण्य पाप लाता है। आने वाली राजकुमारी अवश्य पुण्यशाली आत्मा है । ठाकुर का विश्वास स्वामीजी पर जम गया । वह स्वामीजी का सदा के लिये भक्त बन गया। ठाकुर साहब के वंशज आज भी जैन मुनियों के परम भक बने हुए हैं और उनकी हर प्रकार की सेवा करते रहते हैं । यह था स्वामीजी के उपदेश का चमत्कार ! "यह जवान मेवाड़ का भावी शासक वनेगा" एक समय मानमलजी स्वामी कांकरोली में विराजमान थे। यह गांव राजसमंद के किनारे पर बसा हुआ है। यह प्रख्यात वैष्णव तीर्थ है । यहाँ यात्रियों का सदा आवागमन होता ही रहता है। एक बार पूज्यश्री सूरज दरवाजा के बाहर शिष्यों सहित शौच जा रहे थे। सामने से गौर वर्ण लम्बा कद स्वदेशो सूत के चुने हुए मोटे कपड़े पहने हुए तथा हाथ में लट्ठ लिये हुए मस्त चाल से चलता हुमा एक युवक आरहा था। पूज्यश्रो को देखकर युवक ने नमस्कार किया। पूज्यश्री ने आशीर्वाद देते हुए कहा-"भाग्यशाली ! दया

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