________________
રૂર
पू. श्रीमानलनजी म.
mmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmm उतारना और आप लोग भी यहाँ आकर धर्म ध्यान करना । हवेली के मालिक ने तपस्वी के वचन को शिरोधार्य कर लिया। आज भी वह हवेली प्रायः साधु साध्वियों के ही उतरने व धर्मध्यान के लिये उपयोग में आती है । यह था तपस्वीजी के पावन चरणों का प्रभाव ।
कन्या को अभयदान
राजपूतवंश के कई बड़े बड़े ठिकानों में यह प्रथा थी कि लड़की पैदा होते ही उसे विष देकर मार डालते थे । कारण यह था कि युवा लड़की के विवाह में बहुत बड़ा दहेज देना पड़ता था । विवाह के समय सुवर्ण के गहने चांदी के वर्तन, घोड़े, दास दासी आदि विपुल मात्रा में कन्यादान में देने पड़ते थे । इस खर्च से बचने के लिये प्रायः राजघराने में लड़कियों को विष प्रयोग द्वारा मार डाला जाता था। मेवाड के एक प्रसिद्ध टिकाने के गांव में स्वामीजी श्री भानमल जी महाराज पधारे । गांव के भावुक जनों के साथ गाँव के ठाकुर साहब भी दर्शनार्थ आये । महाराजश्री ने धर्मोपदेश देते हुए कहासंसार के सभी प्राणी जीने की इच्छा रखते हैं इसलिए संसार के. सभी प्राणियों को अपने प्राणों की तरह समझना चाहिये। पराये प्राणों: को कष्ट देना, मारना, पीड़ा पहुँचाना और उनका मास खाना ये सब अनार्य वर्म हैं । घोर नरक का कारण है। जो दूसरों को दुखी करता है वह संसार में कभी सुखी नहीं हो सकता । सुख के बदले मे सुख लो और दुःख के बदले में दुख । स्वामीजी के ये वाक्य ठाकुर साहब पर अमर कर गये। व्याख्यान समाप्ति के बाद ठाकुर साहब ने कहास्वामीजी ! अगर ऐसा ही प्रसंग अजाय तो क्या करना चाहिये ?' स्वामीजी ठाकुर साहब के कहने के भाव को समझ गये । उत्तर में। उन्होंने कहा- ठाकुर साहब ! आप के कितने पुत्र हैं ? ठाकुर-एक भी नहीं। स्वामीजी-लड़कियाँ कितनी है ? ठाकुर साहब यह सुन कर चुप हो गये । स्वामीजी ने कहा- ठाकुर साहब ! लड़का या