Book Title: Agam ke Anmol Ratna
Author(s): Hastimal Maharaj
Publisher: Lakshmi Pustak Bhandar Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 800
________________ “६० श्री माँगीलालजी म० युवाचार्य पद के परित्याग से आप को बड़ा आनन्द मिला । अब आप सांप्रदायिक झंझटों से मुक्त होकर धर्मप्रचार में जुट गये। आपने मेवाड़, मालवा, मारवाड़, हाडौतो, गुजरात, झालावाड़, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, बम्बई, दिल्ली, भागरा, ग्वालियर, भोपाल, इन्दौर, उज्जैन, आदि भारत के मुख्य शहरों को पावन कर जैनधर्म का प्रचार किया। आप ने अपने प्रभाव से अनेक स्थानों के पारस्परिक वैमनस्य-धड़वाजी को मिटा कर एकता स्थापित की। झगड़े मिटाये। हजारों को मांस मदिरा का त्यागो बनाया। पशु बलि बन्द करवाई। तत्त्वचर्चा करके अनेकों को स्थानकवासी धर्म में आस्थावान बनाया। भापने अपने दीक्षाकाल में नौ व्यक्तियों को दीक्षित किया । १२ वर्ष तक ज्ञान और चारित्र की आराधना करके ५२ वर्ष की अवस्था में राजस्थान के सहाड़ा गाँव में समाधि पूर्वक आप सदा के लिए अपने भौतिक देह को छोड़ कर चले गये। चन्दन की चिता ने आपके भौतिक देह को भस्म कर दिया किन्तु आपका यश शरीर मानव के स्मृति पट पर सदा अजर अमर रहेगा। *विशेष परिचय के लिये पढ़िए "गुरुदेव श्री मांगीलालजी महाराज का दिव्य जीवन"

Loading...

Page Navigation
1 ... 798 799 800 801 802 803 804 805