Book Title: Agam ke Anmol Ratna
Author(s): Hastimal Maharaj
Publisher: Lakshmi Pustak Bhandar Ahmedabad

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Page 788
________________ • पू. श्रीएकलिंगदासजी म.. पूज्य पद समारोह पूजनीय श्री वेणीचन्दजी महाराज की मौजूदगी में आप उनके प्रधान सलाहकार थे। उनके प्रतिनिधि के रूप में आपने सम्प्रदाय का संरक्षण, संवर्धन और संचालन किया । जब गुरुदेव श्री वेणीचन्दजी महाराज का स्वर्गवास हो गया तो मेवाड़ सम्प्रदाय को एक सूत्र में आबद्ध . करने का निश्चिय तत्कालीन मेवाड़ सम्प्रदाय के संघ ने किया। पण्डित प्रवर श्री एकलिगदासजी महाराज का चातुर्मास देलवाड़ा में था और उमके शिष्य पं. मुनि श्री कालूरामजी महाराज का चातुर्मास रासमी में था। रासमी संघ को तथा मुनिश्री जी को अपने सम्प्रदाय की विगड़ती हुई यह स्थिति अखरने लगी । रासमी संघ ने और मुनिश्री ने संप्रदाय को संगठित करने का निश्चय किया । मेवाड़ सम्प्रदाय को मानने वाले . ७०० गांव हैं । उन गांवों के मुखियों को समाचार देकर संघ संगठनके लिये राय मंगाई । सभी भोर से यही राय आई कि यह कार्य: अवश्य किया जाय और एक आचार्य के नेतृत्व में संघ को संगठित . किया जाय । समस्त संघ की राय जानने के बाद पं. मुनि श्री कालरामजी महाराज ने देलवाड़ा में विराजित चरितनायकजी से प्रार्थना की: कि संघ संगठन के हेतु सब सन्त सतियाँ एक जगह एकत्र होना चाहती हैं । इस प्रार्थना को चरितनायकजी ने भी अपनी स्वीकृति की मोहर लगा दी। चातुर्मास समाप्ति के बाद पौष मास में सब सन्तों का समागम सनवाड में हुआ। जगह-जगह के श्रीसंघों को भी भामंत्रण पत्र भेजे. गये । मेवाड़ सम्प्रदाय के साधु साध्वियों को विशेष रूप से आमंत्रण भेजे । पौष सुदी १० को सम्मेलन हुआ । उस अवसर पर ४० गांवों के श्रावक श्राविकाएँ एवं दस ठाने साधु साध्वियों के एकत्र हुए। कई सन्त सतियाँ कारण वश उपस्थित नहीं हो सकी। आचार्य पद के लिये प्रयत्न चला तो सब की नजरों में यही जचा कि इस सम्प्रदाय में उम्र. में, दीक्षा में, गुणों में और दूरदर्शिता में एवं अतिशय धैर्यवान आदिः

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