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आगम के अनमोल रत्न - यन्त्र में चौबीस तीर्थङ्ककरों के सम्बन्ध में २८ बातें दी गई हैं । इसके अतिरिक्त और कुछ ज्ञातव्य बातें दी जाती हैं:
तीर्थकर की माताएँ चौदह उत्तम स्वप्न देखती हैं। गज, वृषभ, सिंह, लक्ष्मी का अभिषेक, पुष्पमाला, चन्द्र, सूर्य, ध्वजा, कुम्भ, पद्म सरोवर, सागर, विमान या भवन, रत्न राशि, निर्धूम अग्नि-ये चौदह स्वप्न हैं।
नरक से आये हुए तीर्थङ्करों की माताएँ चौदह स्वप्नों में भवन देखती हैं एवं स्वर्ग से आये हुए तीर्थङ्करों की माताएँ भवन के बदले विमान देखती हैं। भगवान् महावीर स्वामी की माता ने पहला सिंह का, भगवान् ऋषभदेव की माता ने पहला वृषभ का एवं शेष तीर्थङ्करों की माताओं ने पहला हाथी का स्वप्न देखा था । . .
तीर्थङ्कर के गोत्र एवं वंश भगवान् नेमिनाथस्वामी और मुनिसुव्रतस्वामी ये दोनों गौतम गोत्र वाले थे और इन्होंने हरिवंश में जन्म लिया था । शेष बाईस तीर्थङ्करों का गोत्र काश्यप था और इक्ष्वाकु वंश में उनका जन्म हुभा था ।
तीर्थंकर के वर्ण पद्मप्रभ स्वामी और वासुपूज्य स्वामी रक्त वर्ण के थे । चन्द्रप्रभ स्वामी और सुविधिनाथ स्वामी चन्द्रमा के समान गौर वर्ण के थे। श्री मुनिसुन्नत स्वामी और नेमिनाथ स्वामी का कृष्ण वर्ण था तथा श्री पार्श्वनाथ स्वामी और मल्लिनाथ स्वामी का नील वर्ण था । शेष तीर्थङ्करों का वर्ण तपाये हुए सोने के गमान था।
तीर्थकरों का विवाह भगवान् मल्लिनाथ स्वामी और अरिष्टनेमि स्वामी अविवाहित रहे। शेष बाईस तीर्थङ्करों ने विवाह किया था क्योंकि उनके भोगफल वाले कर्म शेष थे।
दीक्षा की अवस्था भगवान् महावीरस्वामी, अरिष्टनेमि स्वामी, पार्श्वनाथ स्वामी और वासुपूजा, स्वामी इन, पाँचों तीर्थङ्करों ने प्रथम क्य, कुमारावस्था में दीक्षा ली। शेष तीर्थङ्कर पिछली वय में प्रवजित हुए ।