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आगम से अनमोल रत्न
४३५ वे जन्म जरा और मृत्यु के श्रम से मुक्त हो गये हैं । पुनः कृष्ण ने पूछा-"भगवन् ? मैं उस व्यक्ति को कैसे जान सकता हूँ।" भगवान ने कहा--"जो तुझे देखते ही जमीन पर गिर कर मर जायगा वही गजसुकुमाल का सहायक है।"
भगवान का दर्शन कर कृष्ण वासुदेव वापस महल की ओर लौटे। भाई के शोक से व्याकुल कृष्ण ने राजमार्ग पर जाना उचित नहीं समझा । उन्होंने गली का रारता लिया। इधर कृष्ण से बचने के लिये सोमिल गली के रास्ते से भागा जा रहा था अचानक उसकी दृष्टि सामने आते हुए कृष्ण पर पड़ी। वह घबरा गया । भय के कारण वह जमीन पर गिर पड़ा और उसके प्राणपखेरू सड़ गये।
कृष्ण ने उसे भ्रातृ हत्यारा जान नगर के बाहर फिकवा दिया। चाण्डाल जिस मार्ग से शव को घसीट कर ले गये थे लोगों ने अल से उसे सींच कर पवित्र कर दिया । ___ अणीयसेन, भनन्तसेन, अजितसेन, अनहितरिपु, देवसेन और शत्रुसेन इन छहों अनगारों ने बोस-वीस वर्ष तक संयम का पालन किया। चौदह पूर्व का अध्ययन किया । अन्तमें एक मास की संलेखणा करके शत्रुजय पर्वत पर सिद्ध बुद्ध और मुक्त हुए .।
अतिमुक्तकअनगार एक बार मथुरा के राजा उग्रसेन बाहर कड़ा के लिये जा रहे थे। मार्ग में एक तपस्वी को तप करते हुए देखा और उन्हें पारणे का निमंत्रण दिया । पारणे के दिन विशेष राजकारण से तपस्वी को भोजन कराना भूल गये । इस प्रकार दो तीन बार निमंत्रण देने पर भी तापस को भोजन न करा सके जिसके कारण तापस ने आमरणांत उपवास कर निदान किया कि-"मैं दूसरे जन्म में इसके लिए दुःख दायक चन ।' तापस भर कर उग्रसेन की पत्नि धारिणी के गर्भ में आया उसे . तीन माह के बाद पति के हृदय का मास खाने का दोहद हुआ।