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आगम के अनमोल रत्न
मासिक संलेखना करके उन्होंने देह का त्याग किया वे मरकर देवलोक में गये । भविष्य में वे महाविदेह क्षेत्र में सिद्धि प्राप्त करेंगे ।
सुवासव कुमार
विजयपुर नाम का नगर था। वहाँ नन्दनवन नाम का उद्यान था । वहाँ अशोक नामक यक्ष का यक्षायतन था । वहाँ के राजा का नाम वासवदत्त था । उसकी कृष्णदेवी नाम की रानी थी और सुवासव नाम का राजकुमार था । उसका भद्रा आदि प्रमुख पांचसौ राजकन्याओं के साथ विवाह हुआ ।
एक बार भगवान का नगर में आगमन हुआ । उपदेश श्रवणकर सुवासवकुमार ने भगवान से श्रावक व्रत ग्रहण किया । गौतम स्वामी ने सुवासवकुमार का पूर्वभव पूछा। उत्तर में भगवान ने फरमाया- गौतम ! कोशाम्बी नाम की एक विशाल नगरा थी । वहाँ धनपाल नाम का धार्मिक राजा रहता था । एक दिन उसने वैश्रमण नाम के तपस्वी को श्रद्धा पूर्वक आहार दान किया । उसके प्रभाव से उसने मनुष्य आयु का बन्धकर के एवं उस भव की आयु पूर्ण कर यहाँ भाकर सुवासव के रूप में जन्म ग्रहण किया। भगवान महावीर ने उसके बाद अन्यत्र विहार कर दिया।
भगवान महावीर का पुनः नगर में आगमन हुआ । सुवासवकुमार ने भगवान की वाणी श्रवण कर दीक्षा ग्रहण की । स्थविरों के पास रहकर सूत्रों का अध्ययन किया। अन्त में मासिक संलेखना करके उन्होंने देह का त्याग किया। वे मरकर देवलोक में गये । भविष्य में वे महाविदेह क्षेत्र में सिद्धि प्राप्त करेंगे ।
जिनदास कुमार
सौगन्धिका नाम की नगरी थी। वहाँ नीलाशोक नाम का उद्यान था । उसमें सुकाल नामक यक्ष का यक्षायतन था । नगरी में महाराज अप्रतिहत राज्य किया करते थे । उनकी रानी का नाम सुकृष्णा देवी था और पुत्र का नाम महाचन्द्र कुमार था । उसकी भर्हदत्ता भार्या थी । इनका जिनदास नाम का एक पुत्र था ।
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