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आगम के अनमोल रत्न
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वान महावीर के समीप चारित्र ग्रहण किया कठोर तप कर विपुलगिरि पर्वत पर संलेखना की। मृत्यु के बाद सर्वार्थ सिद्धि विमान में देवत्व प्राप्त किया । देवलोक से च्युत होने के बाद ये महाविदेह में सिद्धि प्राप्त करेंगे।
पुष्टिमातृक और पेढालपुत्र अनगार इन अनगारों की माता का नाम भद्रा सार्थवाही था । ये दोनों वाणिज्य ग्राम के निवासी थे। दोनों का ३२ कन्याओं के साथ विवाह हुआ । महावीर के पास चारित्र ग्रहण कर इन्होंने कठोर तप किया अन्तिम दिनों में विपुलगिरि पर अनशन कर सर्वार्थ सिद्ध विमान में देवत्व प्राप्त किया। भविष्य में ये महाविदेह क्षेत्र में सिद्धि प्राप्त करेंगे।
पोष्टिल्ल अनगार हस्तिनापुर नगर में भद्रा नाम को सार्थवाही रहती थी। उसका पोठिल नाम का पुत्र था । युवावस्था में पोष्ठिलकुमार का बत्तीस श्रेष्ठी कन्याभों के साथ विवाह हुमा । भगवान महावीर का उपदेश सुनकर पोष्ठिलकुमार ने दीक्षा ग्रहण की अंगसूत्रों का अध्ययन कर इन्होंने कठोर तप किया । अन्तिम समय में विपुलगिरि पर अनशन कर सर्वार्थसिद्ध विमान में ये देव बने । देवलोक का भायुज्य पूर्ण करने के बाद ये महाविदेह क्षेत्र में सिद्धि प्राप्त करेंगे।
वेहल्ल कुमार ये राजगृह नगर के रहने वाले थे। इनका दीक्षा महोत्सव इनके पिता ने किया था । महावीर के समीप चारित्र ग्रहण कर इन्होंने कठोर तप किया। छ माह का चारित्र पालन कर इन्होंने विपुलगिरि पर अनशन किया और मृत्यु के बाद सर्वार्थ सिद्ध विमान में देवत्व प्राप्त किया । देवलोक का आयुष्य पूर्ण करने के बाद ये महाविदेह क्षेत्र में सिद्धि प्राप्त करेंगे।