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आगम के अनमोल रत्न
मेतार्य
प्रभास
राजगृह
गणधरनाम सर्वायु वीर निर्वाण से 'निर्वाण स्थल
राजगृह
गणधर सिद्धान्त इन्द्रभूति जीव है या नहीं । अग्निभूति ज्ञानावरण आदि कर्म हैं या नहीं । वायुभूति शरीर और जीव एक है या भिन्न भिन्न । व्यक्तस्वामी पृथ्वी आदि भूत हैं या नहीं ।
इस लोक में जो जैसा है, परलोक में भी वह
वैसा ही रहता है। मण्डिक बन्ध और मोक्ष हैं या नहीं । मौर्यपुत्र देवता हैं या नहीं। अकम्पित नारको हैं या नहीं । अचल भ्राता पुण्य ही बढ़ने पर सुख और घटने पर दुःख
का कारण हो जाता है, या दुःख का कारण
पाप पुण्य से अलग है। मैतार्य आत्मा की सत्ता होने पर भी परलोक है या नहीं। ११ प्रभास मोक्ष है या नहीं।
सुधर्मा