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आगम के अनमोल रत्न
रात्रि को शूलपानी का अट्टहास सुनकर गांव के लोगों ने यह भनुमान कर लिया था कि शूलपानी ने भगवान को मार डाला है और गीतगान करते हुए सुना तव समझा कि वह यक्षः महावीर की मृत्यु की खुशी में अब भानन्द मना रहा है।' .
... ____अस्थिक गांव में उत्पल नामक एक निमित्तवेत्ता रहता था । वह किसी समय पार्श्वनाथ की परम्परा का साधु था। बाद में गृहस्थ होकर निमत्त-ज्योतिष से अपनी आजीविका चलाता था।
उत्पल ने जव सुना कि शूलपानी के देवालय में भगवान महावीर ठहरे हैं तो उसे बड़ी चिन्ता हुई और अशुभ कल्पनाओं में सारी रात बिताकर सबेरे ही इन्द्रशर्मा, पुजारी एवं अन्य ग्रामवालों के साथ शूलपानी के मन्दिर में पहुँचा। वहाँ पहुँचते ही उत्पल ने देखा कि महावीर के चरणों में पुष्प-गन्धादि द्रव्य चढ़े हुए हैं। यह दृश्य देखकर प्रामवासी और उत्पल नैमित्तिक के आनन्द की सीमा न रही। वे भगवान के चरणों में गिर पड़े और भगवान के गुणगान गाने लगे । उन्होंने भगवान से कहा- भगवन् ? आपने यक्ष की क्रूरता. मिटाकर ग्रामनिवासियों पर महान उपकार किया है। सचमुच आप धन्य हैं। ___उत्पल हर्षावेश में बिना पूछे ही भगवान के दस स्वप्नों का फल बताते हुए कहने लगा
१-आप मोहनीय कर्म का अन्त करेंगे । २-शुक्लध्यान में आप सदा रहेंगे । ३-आप द्वादशाझी का उपदेश देंगे । ४-चतुर्विध संघ आपकी सेवा करेगा । ५-संसार समुद्र को आप पार करेगे । ६-आपको अल्पसमय में ही केवलज्ञान होगा।
-तीनलोक में आपका यश फैलेगा । ८-समवशरण में विराजकर आप देशना देंगे।