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आगम के अनमोल रत्न
भगवान के निर्वाण के समाचार जब इन्द्रभूति को मिले तो वे मूर्छित होकर गिर पड़े। मूर्छा दूर होने पर वे भगवान के वियोग में हृदयद्रावक विलाप करने लगे। अन्ततः उनका स्नेहावरण नष्ट हो गया। उन्होंने घाती कर्म नष्ट कर केवलज्ञान प्राप्त कर लिया। इन्द्रभूति के केवली बन आने के बाद श्रमण संघ के नेता भगवान सुधर्मा बने ।
बीस विहरमान जम्बूद्वीप के विदेहक्षेत्र के मध्यभाग में मेरुपर्वत है। पर्वत के पूर्व में सीता और पश्चिम में सीतोदा महानदी है । दोनों नदियों के उत्तर और दक्षिण में भाठ आठ विजय हैं । इस प्रकार जम्बू द्वीप के विदेह क्षेत्र में आठ आठ की पंक्ति में बत्तीस विजय हैं । इन विजयों में जघन्य ४ तीर्थकर रहते हैं अर्थात् प्रत्येक आठ विजयों की पंक्ति में कम से कम एक तीर्थकर सदा रहते हैं । प्रत्येक विजय में एक तीर्थडर के हिसाब से उत्कृष्ट बत्तीस तीर्थ कर रहते हैं।
धातकीखण्ड और पुष्कारार्द्धद्वीप के चारों विदेहक्षेत्र में भी उपर लिखे अनुसार ही बत्तीस बत्तीस विजय हैं। प्रत्येक विदेहक्षेत्र में ऊपर लिखे अनुसार जघन्य चार और उत्कृष्ट बत्तीस तीर्थकर सदा रहते हैं । कुल विदेहक्षेत्र पाच हैं और उनमें विजय १६ हैं। सभी विजयों में जघन्य बीस और उत्कृष्ट १७० तीर्थङ्कर रहते हैं।
___ वर्तमानकाल में पार्यों विदेहक्षेत्र में वीस तीर्थंकर विद्यमान हैं। वर्तमान समय में विचरने के कारण उन्हें विहरमान कहा जाता है।
इन सभी विहरमानों की आयु ८४ लाख पूर्व की , उँचाई पांचसौ धनुष की एव वर्ण सुवर्णमय है। इनका सक्षिप्त परिचय इस प्रकार है
१-श्री सीमन्धरस्वामी जम्बूद्वीप के पूर्व महाविदेह क्षेत्र के अन्तर्गत पुष्कलावती विजय में पुण्डरीकिणी नाम की नगरी है। वह अत्यन्त रमगीय व समृद्ध