________________
आगम के अनमोल रत्न
mmmmmmms (९) कलश को देखने से धर्म रूपी प्रासाद के शिखर पर उनका आसन होगा।
(१०) पद्मसरोवर को देखने से देवनिर्मित सुवर्णकमल पर उनका विहार होगा।
(११) समुद्र को देखने से केवलज्ञान रूपी रत्न का धारक होगा। (१२) विमान को देखने से वैमानिक देवों से पूजित होगा । (१३) रत्नराशि को देखने से रत्न के गहनों से विभूषित होगा।
(१४) निधूम अग्नि को देखने से भन्य प्राणिरूप सुवर्ण को शुद्ध करने वाला होगा।
इन चौदह महास्वप्नों का समुचित फल यह है कि वह चौदह राजलोक के अग्रभाग पर स्थित सिद्धशिला के उपर निवास करने वाला होगा । रानी अपने स्वप्नदर्शन का फल सुनकर अत्यन्त प्रसन्न हुई और बार बार अपने स्वप्नों का ही स्मरण करती हुई अपने स्थान पर चली आई। राजा ने स्वप्नपाठकों को विपुल दान दक्षिणा देकर विदा किया।
भगवान गर्भावस्था में ही विशिष्टज्ञानी थे अर्थात् उन्हें मति श्रुति और अवधिज्ञान था । जब गर्भ का सातवां महिना बीत चुका तब एक दिन भगवान ने सोचा-मेरे हलन, चलन से माता को कष्ट होता है। अतः उन्होंने.गर्भ में हिलनाडुलना कतई बन्द कर दिया ।
अचानक गर्भ का हिलना डुलना वन्द होने से माता त्रिशला अमङ्गल. की कल्पना से शोकसागर में डूब गई । उन्हें लगा कहीं गर्भ में वालक की मृत्यु तो नहीं हो गई ? धीरे धीरे यह खबर सारे राज: कुटुम्ब में फैल गई। सभी यह बात सुनसुन कर. दुखी होने लगे।
- भगवान में यह सब अपने ज्ञान से देखा और सोचा- माता पिता की सन्तान विषयक ममता बड़ी प्रबल होती है । मैंने, तो मा के सुख के लिये ही हलन चलन बन्द कर दिया. था परन्तु उसका परिणाम विपरीत ही हुआ ।" मातापिता के इस स्नेहभाव- को देखकर