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कादिपुराण
मालव-यह मालवा का नाम है । पहले अवन्ती इसी के अन्तर्गत दूसरे नाम से प्रसिद्ध था पर अब वह मालव में सम्मिलित है । उज्जैन, दशपुर (मन्दसौर), धारानगरी (धार), इन्द्रपुर (इन्दौर) आदि इसके प्रसिद्ध नगर हैं।
पंचाल-यह कुरुक्षेत्र के पूर्व में है। यह दक्षिण पञ्चाल और उत्तरपञ्चाल इन दो विभागों में था। इसका विस्तार चर्मण्वती नदी तक था। कान्यकुब्ज (कन्नौज) इसी में है। उत्तरपञ्चाल की अहिच्छत्रा और दक्षिण पञ्चाल की काम्पिल्य राजधानियां थीं।
दशार्ण-यह प्रदेश मालवा का पूर्व भाग है। इस प्रदेश में वेत्रवती (बेतषा) नदी बहती है। कुछ स्थानों में दशार्ण (धसान) नदी भी बही है और अन्त में चलकर बेत्रवती में जा मिली है। विदिशा (भेलसा) इसकी राजधानी थी।
कच्छ-पश्चिमी समुद्र तट का प्रदेश कच्छ कहलाता था। यह कच्छ काठियावाड़ के नाम से अब भी प्रसिद्ध है।
मगध-बिहार प्रान्त का गङ्गा के दक्षिण का भाग मगध कहलाता था। इसकी राजधानी पाटलि - पुत्र (पटना) थी। गया और उरुबिल्व (बुद्धगया) इसी प्रान्त में थे।
विदर्भ- इसका आधुनिक नाम बरार है। इसकी प्राचीन राजधानी विदर्भपुर (बीदर) अथवा कुंडिनपुर थी।
महाराष्ट्र-कृष्णा नदी से नर्मदा तक का विस्तृत मैदान महाराष्ट्र कहलाता था। _सराष्ट्र--मालवा का पश्चिमी प्रदेश सौराष्ट्र या सुराष्ट्र कहलाता था। बाजकल इसको सौराष्ट्र (काठियावाड़) कहते हैं। रैवतक (गिरनार) क्षेत्र इसी में है । सौराष्ट्र के जिस भाग में द्वारिका है उसे बानर्त कहते थे।
कोङ्कण-पश्चिमी समुद्रतट पर यह प्रदेश सूर्यपतन (सूरत) से रत्नागिरि तक विस्तृत है। महाम्बा पुर (बम्बई) तथा कल्याण इसी कोंकण देश में हैं।
वनवास-कर्नाटक प्रान्त का एक भाग वनवास कहलाता था। आबकल यह बनौसी कहलाता है। गुणभद्राचार्य के समय इसकी राजधानी बंकापुर थी जो धारवाड़ जिले में है।
आन्ध्र-यह गोदावरी तथा कृष्णा नदी के बीच में था। इसकी राजधानी अन्ध्रनगर (बेंगी) थी। इसका अधिकांश भाग भाग्यपुर (हैदराबाद) राज्य में अन्तर्भूत है। इसी को लिङ्ग (तेलंग) देश भी कहते हैं।
कर्णाट-यह आन्ध्रदेश के दक्षिण वा पश्चिम का भाग था। वनवास तथा महिषग अथवा महीपुर (मैसूर) इसी के अन्तर्गत हैं। इसकी राजधानियां महिषपुर और श्रीरंगपत्तन थीं।
कोसल-यह उत्तर कोसल और दक्षिण कोसल इस प्रकार दो भागों में विभक्त था। अयोध्या, शरावती (श्रावस्ती), लक्ष्मणपुरी (लखनऊ) आदि इसके प्रसिद्ध नगर हैं। यहां गोमती, तमसा और सरयू नदियां बहती हैं । कुशावती का समीपवर्ती प्रदेश दक्षिण कोसल कहलाता था। तथा अयोध्या, लखनऊ आदि के समीपवर्ती प्रदेश का नाम उत्तर कोसल था।
चोल-कर्णाटक का दक्षिण पूर्वभाग अर्थात् मद्रास शहर, उसके उत्तर के कुछ प्रदेश और मैसूर रियासत का बहुत कुछ भाग पहले चोल नाम से प्रसिद्ध था।
केरल-कृष्णा और तुङ्गभद्रा के दक्षिण में विद्यमान भूभाग, जो आजकल केरल के अन्तर्गत है, पाण्ड्य केरल और सतीपुत्र नाम से प्रसिद्ध था।